हरिद्वार, 2 अप्रैल 2025। श्री अखंड परशुराम अखाड़े द्वारा श्री बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने मां दुर्गा के ‘महिषासुरमर्दिनी’ रूप का वर्णन किया। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक मायावी राक्षस का वध कर यह उपाधि प्राप्त की थी।
पंडित शास्त्री ने कथा में बताया कि महिषासुर, जो ब्रह्मऋषि कश्यप और दनु का वंशज था, ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई देवता, मनुष्य या दानव न मार सके, बल्कि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों हो। इस वरदान के बल पर उसने स्वर्ग पर कब्जा कर देवताओं को परेशान किया और पृथ्वी पर उत्पात मचाया। जब देवताओं के प्रयास विफल हुए, तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश सहित सभी देवताओं ने अपने तेज से मां दुर्गा को प्रकट किया। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसी विजय के उपलक्ष्य में नवरात्रि और विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि आज भी समाज में राक्षसी प्रवृत्ति के लोग मौजूद हैं, जो सनातन धर्म को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अखाड़ा सनातनियों को एकजुट कर इस संस्कृति को संरक्षित करने का संकल्प ले रहा है।
इस अवसर पर मंदिर व्यवस्थापक सतीश वन महाराज, लाहू वन महाराज, विवेक मिश्रा, पंडित संजय कृष्ण शास्त्री, साध्वी अनन्या देवी सहित अनेक भक्त उपस्थित रहे।