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महाकुंभ में ‘हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न, संत-महंतों की भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग

प्रयागराज, 31 जनवरी – महाकुंभ मेले के दौरान अखिल भारतीय धर्मसंघ और हिंदू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ का आयोजन किया गया। इस अधिवेशन में संत-महंतों और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को प्रमुखता से उठाया।

अधिवेशन में बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार, बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठ, काशी-मथुरा मंदिरों की मुक्ति, हिंदू मंदिरों के सरकारीकरण, लव जिहाद, धर्मांतरण और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। संतों और संगठनों ने हिंदू समाज को संगठित कर ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापना के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने की मांग

हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा, ‘‘भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर, जनसंख्या नियंत्रण, धर्मांतरण और गोहत्या पर प्रतिबंध के लिए कड़े कानून बनाए जाने चाहिए। संविधान में अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान समाप्त किए जाएं।’’

मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की अपील

मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संघटक श्री सुनील घनवट ने कहा, ‘‘सरकारें केवल हिंदू मंदिरों का अधिग्रहण कर उनकी संपत्ति का उपयोग करती हैं, जबकि मस्जिदों और चर्चों को नियंत्रण में नहीं लिया जाता। हिंदुओं को अपने मंदिरों की स्वायत्तता के लिए संघर्ष करना होगा।’’

काशी-मथुरा की मुक्ति पर जोर

हिंदू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत मार्गदर्शक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने कहा, ‘‘हिंदू सभ्यता पर सदियों से आक्रमण हो रहे हैं, लेकिन अब पुनरुद्धार का समय आ गया है। काशी-मथुरा की मुक्ति की मांग अब और तेज होगी। हिंदुओं को लव जिहाद के साथ लैंड जिहाद के खिलाफ भी संघर्ष करना होगा।’’

इस अधिवेशन में संत-महंतों और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों ने एकमत होकर कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग केवल हिंदुओं के ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के कल्याण की दिशा में एक महत्व पूर्ण कदम है।

 

 

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