भारत प्रत्यर्पण का रास्ता अब साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट नेनई दिल्ली। 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के साथ राणा के भारत को प्रत्यर्पित न किए जाने के कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं। राणा फिलहाल लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा पर 26/11 हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इस हमले में 166 लोगों की जान गई थी, जिसमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे। भारत लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था।
राणा के वकीलों ने तर्क दिया था कि शिकागो की संघीय अदालत ने पहले ही उसे 2008 के हमलों के आरोपों से बरी कर दिया है, लेकिन अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने इस दावे को खारिज कर दिया। अमेरिकी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका खारिज करने की अपील की थी।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका अस्वीकार कर दी। इससे पहले राणा ने अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा।
भारत सरकार के लिए यह फैसला बड़ी सफलता है। राणा का संबंध पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली से है, जिसने 26/11 हमलों की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाई थी।
26/11: 60 घंटे तक चला आतंक का तांडव
2008 में हुए मुंबई हमलों ने देश को हिला कर रख दिया था। दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई के प्रमुख स्थानों पर हमला किया था, जिसमें ताज होटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस शामिल थे। भारतीय सुरक्षा बलों ने 60 घंटे की मुठभेड़ के बाद सभी आतंकवादियों को मार गिराया।
अब राणा के भारत आने के बाद, मामले की जांच में और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।