मैनपावरग्रुप टैलेंट शॉर्टेज सर्वे के मुताबिक, भारतीय नियोक्ता 2025 की पहली तिमाही में कौशलयुक्त कर्मचारियों की भर्ती को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं। देश में 80% नियोक्ता कुशल कर्मचारियों की कमी से संघर्ष कर रहे हैं, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। यह समस्या 2022 से जारी है और 2024 तक वैश्विक औसत (74%) से भी अधिक बनी हुई है।
आईटी और ऊर्जा क्षेत्र पर दबाव
नई दिल्ली “सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि आईटी, ऊर्जा और यूटिलिटी जैसे उद्योगों में डाटा और आईटी कौशल की बढ़ती मांग के कारण सबसे अधिक दबाव महसूस किया जा रहा है। कोई भी क्षेत्र प्रतिभा की कमी के प्रभाव से अछूता नहीं है। सिर्फ 22% नियोक्ता ही अस्थायी भर्तियों को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं।
दक्षिण भारत में सबसे बड़ी चुनौती
दक्षिण भारत में प्रतिभा की कमी सबसे अधिक (85%) देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट सामूहिक प्रयास की आवश्यकता को उजागर करता है। मैनपावरग्रुप इंडिया एवं मध्य पूर्व के प्रबंध निदेशक संदीप गुलाटी ने कहा, “प्रतिभा की लगातार कमी और 2025 तक 80% संगठनों द्वारा पदों को भरने के लिए संघर्ष करना यह दर्शाता है कि तत्काल समाधान की जरूरत है।”
सर्वेक्षण के आंकड़े
यह सर्वे 3,000 से अधिक भारतीय नियोक्ताओं से मिले डाटा पर आधारित है, जो देश के चार क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि कौशल प्रशिक्षण, अपस्किलिंग कार्यक्रमों और आधुनिक शिक्षा पद्धति को प्राथमिकता देकर इस संकट को कम किया जा सकता है