अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी ने आज सोशल मीडिया के माध्यम से सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं, उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक में लिखा
15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार की 200 सालों की गुलामी के बाद भारत को आजादी मिली इसके बाद 1950 में भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। यह दिन हमें हमारे देश के नायकों के त्याग, तपस्या और बलिदान के नतीजे के रूप में मिला था, और आज हम 75वां गणतंत्र दिवस 74वीं वर्षगांठ मना रहे हैं ।
यह गणतंत्र दिवस हर एक देशवासी और हर एक सनातनी के एतिहासिक है क्योंकि जहां एक तरफ आज देश के तंत्र अर्थात संविधान को लागू करने का जश्न मना रहे हैं वहीं आज हम भारत देश की आत्मा हम सबके आराध्य प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का जश्न भी मना रहे , चाहे देश की आजादी रही हो या प्रभु श्री राम का मंदिर दोनो के लिए इस देश के होनहार सपूतो ने अपना बलिदान दिया और कई सालो की लड़ाई के बाद आजादी मिली।
जहां देश की आजादी के लिए हमें 200 वर्षों का संघर्ष करना पड़ा वहीं प्रभु श्री राम के लिए 500 वर्षों की अलग अलग स्तर पर लड़ाई लड़नी पड़ी, आज देश का हर एक नागरिक खुशी से झूम रहा है, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दे रहा है, अयोध्या में प्रभु श्री राम के दर्शन के बाद लोगों के आंखो से बहती अश्रुधारा यह बताती है कि प्रभु श्री राम इस देश की आत्मा है।
देखा जाए तो सही मायने में आज हमें संपूर्ण आजादी मिली है अगर हम यह कहे कि भारत देश का शरीर 75 साल पहले आजाद हुआ था और आत्मा आज तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
“गणतंत्र” शब्द संस्कृत भाषा से आया है जिसमें “गण” का अर्थ होता है “समूह” और “तंत्र” का अर्थ होता है “नियम” या “प्रक्रिया”। इसका मतलब होता है “समूह नियम” या “समूह का तंत्र”। भारत में, “गणतंत्र” का शाब्दिक अर्थ है “गणराज्य” जिसे हम लोग सामूहिक रूप से चलाए जाने वाले राजनीतिक प्रणाली के रूप में समझते हैं। भारतीय संविधान के आधार पर, भारत एक सामूहिक नियामक राज्य है जिसे हम “गणतंत्र” कहते हैं।
गणतंत्र का सिद्धांत यह है कि राजनीतिक शक्ति और नियामक शक्ति जनता के हाथ में होनी चाहिए और राष्ट्र की नीतियों और निर्णयों को जनमत से प्राप्त की जानी चाहिए। गणतंत्र में लोगों को अपने अधिकार और कर्तव्यों का जिम्मेदारी लेने का अधिकार होता है, और यह एक समृद्धि, सामाजिक न्याय, और सामाजिक समानता की ओर बढ़ने का माध्यम बनता है।
लेकिन इसके बाद भी इस देश के हर एक देशप्रेमी को प्रभु श्री राम के मंदिर की इतने दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ी, कहावत है अंत भला तो सब भला, इसलिए आज देश का हर एक नागरिक दुगुने उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मना रहा है और एक दूसरे को बधाईयां शुभकामनाएं दे रहा है।
हमारे पूर्वजों ने अपने देश की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अनगिनत बलिदानों का मोल चुकाया है। इस आजादी के लिए कई पीढ़ियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। सन् 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आगाज हुआ था जब भारतीय सिपाहियों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ उत्तरी और मध्य भारत में विद्रोह किया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण 1919 की जलियांवाला बाग में हुआ, जहां ब्रिटिश सेना ने अनैतिकता के साथ भारतीय सिपाहियों पर फायरिंग की और कई नागरिकों को निर्ममता से हत्या किया।
इस घटना ने देशभर में आजादी के प्रति लोगों की भावना को उत्तेजित किया उसके बाद चले अनेक सत्याग्रह और स्वदेशी आंदोलनों में, भारतीय जनता ने अपनी आजादी के लिए संघर्ष किया।
लाखों लोगों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी कुर्बानी दी और देश को आजाद कराने के लिए अपनी भूमिका निभाई। इस देश ने कई दर्द भी सहे पार्टीशन में हजारों जानें गई और पूरा देश कराह उठा , उसके बाद देश ने कई युद्ध भी देखे और कई बार दुश्मनों को धूल चटाई। और आज पूरे विश्व में भारत देश का नाम सम्मान से लिया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश लगातार नए आयामों को छूता जा रहा है और देश में जो गुलामी के धब्बे निशान लगे थे उनको मिटाता जा रहा है। मैं सभी देशवासियों को और विश्व के हर एक सनातनी को इस संपूर्ण आजादी , गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
मां भगवती मनसा देवी का आशिर्वाद आप सब पर बना रहे। हर हर महादेव।