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अक्षय तृतीया: अक्षय फल देने वाला पवित्र दिन, सनातन संस्था ने बताया महत्व**

हरिद्वार, 28 अप्रैल 2025: सनातन संस्था ने अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर इसके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया। वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाने वाला यह त्योहार साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक पूर्ण शुभ मुहूर्त माना जाता है। संस्था के अनुसार, इस दिन सत्ययुग का समापन और त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था, जिसके कारण यह संधिकाल 24 घंटे तक शुभ प्रभाव वाला होता है।

 

संस्था ने बताया कि अक्षय तृतीया पर भगवान हयग्रीव, परशुराम और नर-नारायण के अवतार हुए थे। इस दिन ब्रह्मा और श्री विष्णु की सात्विक लहरें पृथ्वी पर आती हैं, जिससे सात्विकता 10% बढ़ती है। स्नान, ध्यान, दान, भगवत पूजन, जप-तप, हवन और पितृ तर्पण करने से अक्षय पुण्य और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, आभूषण-वस्त्र खरीदारी जैसे शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं। गंगा स्नान और भगवत पूजन से पाप नष्ट होते हैं।

 

**सत्पात्र दान का महत्व**: संस्था ने जोर दिया कि अक्षय तृतीया पर गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्यादान का विशेष महत्व है। सत्पात्र दान, यानी ईश्वरीय कार्यों और धर्म प्रसार करने वाली संस्थाओं को दान, पुण्य संचय के साथ आध्यात्मिक उन्नति देता है।

 

**क्या करें इस दिन?**: तीर्थक्षेत्र या बहते जल में स्नान, तिल-तर्पण, पितृ तर्पण, श्री विष्णु और वैभव लक्ष्मी की पूजा, होम-हवन और जप-जाप करें। तिल-तर्पण से पितर तृप्त होते हैं, और कृतज्ञता भाव से की गई उपासना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

 

सनातन संस्था ने सभी से इस शुभ दिन का लाभ उठाने और बुलेट्स:

– स्नान, दान, पूजन और तर्पण से अक्षय पुण्य की प्राप्ति

– सत्पात्र दान से आध्यात्मिक उन्नति

– शुभ कार्यों के लिए पूर्ण शुभ मुहूर्त

 

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