समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने यूसीसी लागू किया । राष्ट्रपति भवन की तरफ से उसकी सूचना शासन को मिल गई है। राज्य सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अब नियमावली बनते ही उत्तराखंड यूसीसी कानून को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जहां पूरे प्रदेश में हर्ष देखने को मिल रहा है वहीं साधु संतों ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आभार जताया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने कहा समान नागरिक संहिता देश की जरूरत है इससे हर एक समुदाय के लोगों को समान अधिकार मिलेगा ,चाहे वो सामाजिक मामलों हो या विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत या बच्चा गोद लेने के हो । उन्होने कहा यू सी सी देश की मांग है ।उन्होंने नागरिक संहिता पर राष्ट्रपति की मुहर के बाद प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप , समलैंगिक सम्बन्ध, विवाह की उम्र, पैतृक सम्पत्ति में महिलाओं की हिस्सेदारी , तलाक एवं गोद लेने आदि के विषयों पर अब समान संहिता लागू होगी। आधी आबादी को न्याय का मार्ग अब प्रशस्त होगा । उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी भारत के संविधान में वर्णित नीति-निदेशक तत्व में उल्लिखित अनुच्छेद-44 की भावना के साथ न्याय नहीं हो पाया था अब समान नागरिक संहिता के लागू होने से विवाह उत्तराधिकार तथा व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाली विधियों को सार्वभौमिक रूप से राज्य में लागू करने में मदद मिलेगी। इस कानून के लागू होने से एक ओर तो लोकतंत्र की अवधारणा को मजबूती मिलेगी वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड राज्य देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक नजीर का काम करेगा। यूसीसी लागू करने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं उनकी टीम को बधाई दी।
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