स्वामी रामेश्वरानंद ने बताया रुद्राक्ष का शिव से जुड़ाव, श्रद्धालुओं ने भावपूर्वक किया श्रवण
हरिद्वार, 17 जुलाई। श्री अखंड परशुराम अखाड़े की ओर से जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने रुद्राक्ष की महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कथा के दौरान बताया कि रुद्राक्ष का उद्गम भगवान शिव के अश्रुओं से हुआ है, जो त्रिपुरासुर दैत्य के आतंक के समय भगवान शिव के ध्यान भंग होने पर उनकी आंखों से गिरकर धरती पर उत्पन्न हुआ।
स्वामी रामेश्वरानंद ने कहा कि रुद्राक्ष शिव का प्रतीक है और इसे धारण करने से शिव कृपा सहज प्राप्त होती है। उन्होंने रुद्राक्ष के 14 रूपों का उल्लेख करते हुए बताया कि एक मुखी रुद्राक्ष शिव का अंश, दो मुखी अर्धनारीश्वर, तीन मुखी अग्नि, चार मुखी ब्रह्मा, पांच मुखी कालाग्नि, छह मुखी कार्तिकेय, सात मुखी कामदेव, आठ मुखी गणेश व कालभैरव, नौ मुखी शक्ति, दस मुखी यम, ग्यारह मुखी स्वयं रुद्र, बारह मुखी सूर्य, तेरह मुखी विजय का प्रतीक और चौदह मुखी शिवस्वरूप है।
उन्होंने कहा कि श्रावण मास में शिव हरिद्वार में वास करते हैं और इस पावन अवसर पर रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
कार्यक्रम में श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि कथा के माध्यम से कैदियों के आत्मिक विकास और आध्यात्मिक उत्थान का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य, पंडित अधीर कौशिक, रूपेश कौशिक, विष्णु गौड़, आचार्य विष्णु शास्त्री, आचार्य संजय शर्मा, कुलदीप शर्मा, भागवताचार्य पवनकृष्ण शास्त्री, मनोज ठाकुर, बृजमोहन शर्मा, सत्यम शर्मा, चमन गिरी, संजू अग्रवाल, रोहित शर्मा और विशाल शर्मा ने शिव महापुराण कथा में भाग लिया और व्यास पूजन किया।