गढ़वाल मण्डलहरिद्वार

चार आरोपियों को मुख्य दण्डाधिकारी हरिद्वार ने रिमांड अस्वीकार कर रिहा किया

हरिद्वार, 26 मई 2025: हरिद्वार कोतवाली पुलिस द्वारा दिनांक 26.05.2025 को अलग-अलग मामलों में चार आरोपियों—मु.अ.सं. 369/2025 में ओमप्रकाश, मु.अ.सं. 370/2025 में अभिषेक, और मु.अ.सं. 371/2025 में दीपक व मोहित—को आयुध अधिनियम की धारा 4/25 के तहत गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का आरोप था कि सभी अभियुक्त अवैध चाकू के साथ पकड़े गए हैं। इन मामलों को मुख्य दण्डाधिकारी श्री अविनाश श्रीवास्तव के समक्ष रिमांड के लिए प्रस्तुत किया गया।

 

रिमांड की सुनवाई के दौरान, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हरिद्वार द्वारा स्थापित लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के तहत नियुक्त अधिवक्ता श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव (डिप्टी लीगल एड डिफेंस काउंसिल) ने अभियुक्तों की ओर से पैरवी की। उन्होंने अपनी दलीलों में कहा कि अभियुक्त अभिषेक मेरठ से, जबकि दीपक और मोहित दिल्ली से गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आए थे। पुलिस ने इन अभियुक्तों को झूठे आरोपों में फंसाया है, उनकी गिरफ्तारी की सूचना उनके परिवारों को नहीं दी गई, और न ही उन्हें गिरफ्तारी का कारण बताया गया। अभियुक्त ओमप्रकाश स्थानीय निवासी है, और किसी भी अभियुक्त का कोई पूर्व अपराधिक इतिहास नहीं है।

 

मुख्य दण्डाधिकारी श्री अविनाश श्रीवास्तव ने सुनवाई के दौरान अभियुक्तों की ओर से प्रस्तुत तर्कों को ध्यानपूर्वक सुना और बरामद चाकुओं की जांच की। उन्होंने पाया कि सभी चाकू एकसमान रंग, रूप, बनावट और नए थे, जबकि अभियुक्त अलग-अलग स्थानों से थे और उनका आपस में कोई संबंध नहीं था। विवेचक द्वारा दर्शाई गई बरामदगी को पूर्ण रूप से पूर्व नियोजित और संदिग्ध मानते हुए, मुख्य दण्डाधिकारी ने धारा 4/25 आयुध अधिनियम के तहत सभी आरोपियों का रिमांड अस्वीकार कर दिया और उन्हें उन्मोचित करते हुए रिहा करने का आदेश दिया।

 

इस आदेश की सूचना मिलने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हरिद्वार के लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के अन्य अधिकारियों—श्री सुधीर त्यागी (चीफ), श्री रमन कुमार सैनी (डिप्टी), सुश्री रजिया अखतर (असिस्टेंट), और श्री आदिल अली (असिस्टेंट)—ने खुशी जाहिर की और इस निर्णय को विधिक निष्पक्षता और न्याय का प्रतीक बताया।

 

यह मामला न केवल विधिक सेवा प्राधिकरण की सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायिक प्रक्रिया में तर्कसंगत और निष्पक्ष दृष्टिकोण से निर्दोष व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान किया जा सकता है।

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