डासना, गाजियाबाद, 19 मई 2025: श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने वेटिकन सिटी के महामहिम पोप लियो XIV को एक पत्र लिखकर इस्लामिक जिहाद और कट्टरपंथ से उत्पन्न वैश्विक चुनौतियों के खिलाफ सहयोग और संवाद की अपील की है। इस पत्र में उन्होंने मानवता की रक्षा और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए कैथोलिक चर्च से नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का अनुरोध किया है।
यति नरसिंहानंद ने पत्र में भारत और यूरोप में इस्लामिक कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों और सांस्कृतिक पहचान पर पड़ रहे दबाव को रेखांकित किया। उन्होंने कश्मीर सहित भारत के उन क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जहां सांप्रदायिक हिंसा और नरसंहार की घटनाएं सामने आई हैं। साथ ही, यूरोप में पेरिस और ब्रुसेल्स जैसे शहरों में हुए आतंकवादी हमलों का उल्लेख करते हुए जिहादी विचारधारा को वैश्विक खतरे के रूप में चिह्नित किया।
पत्र में स्पष्ट किया गया कि उनकी चिंता किसी धर्म के सभी अनुयायियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन विचारधाराओं के खिलाफ है, जो हिंसा, उत्पीड़न और मानवता के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा देती हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि विश्व के सभी गैर-इस्लामिक धर्मों को इस्लाम के मूल तत्वों पर शोध करना चाहिए और यदि वे मानवता के खिलाफ पाए जाते हैं, तो उनमें सुधार के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने धर्म के आधार पर जनसंहार को मानवता के खिलाफ अपराध घोषित करने और सभी धर्मों के प्रतिनिधियों की एक वैश्विक सभा गठित करने की मांग की।
यति नरसिंहानंद ने पोप से अंतर-धार्मिक संवाद को सशक्त करने, कट्टरपंथी विचारधाराओं का विरोध करने, सांस्कृतिक संरक्षण का समर्थन करने और वैश्विक एकजुटता के लिए नीतियां तैयार करने जैसे कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने विश्वास जताया कि हिंदू और कैथोलिक समुदाय मिलकर विश्व शांति और सह-अस्तित्व को मजबूत कर सकते हैं।
यह पत्र धार्मिक सद्भाव और वैश्विक शांति के लिए एक साहसिक कदम माना जा रहा है, जो विश्व भर में धार्मिक नेताओं और समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित कर सकता है। यति नरसिंहानंद ने अपने पत्र को “हर हर महादेव” के उद्घोष के साथ समाप्त किया और प्रार्थना की कि भगवान शिव और प्रभु यीशु मानवता को सत्य और शांति के मार्ग पर ले जाएं।