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उत्तराखंड को देवभूमि घोषित करने की मांग, मांस-मदिरा और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध का प्रस्ताव**  

*हरिद्वार, 30 मार्च 2025*

शांभवी पीठाधीश्वर परम पूज्यपाद स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने उत्तराखंड सरकार से सम्पूर्ण उत्तराखंड को विधिवत रूप से “देवभूमि प्रदेश” घोषित करने की मांग की है। नवरात्रि के पावन अवसर पर हरिद्वार में आयोजित एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान उन्होंने तीन प्रमुख संकल्पों की घोषणा की। इनमें पहला संकल्प है कि उत्तराखंड को कानूनी रूप से देवभूमि घोषित कर मांस, मदिरा और गैर-हिंदुओं के निवास पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। दूसरा, हिमालय को हिंदुओं का “देवालय” घोषित कर संरक्षित किया जाए। तीसरा, भारत को पूर्ण हिंदू राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया गया।

 

स्वामी आनंद स्वरूप जी ने कहा कि उत्तराखंड सदियों से ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है, जहां साधना, ध्यान और शोध का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुनियोजित तरीके से रोहिंग्याओं को बसाकर इस पवित्र भूमि को दूषित किया गया है, जो न केवल उत्तराखंड बल्कि विश्व भर के हिंदुओं के लिए अपमानजनक है। उन्होंने कहा, “यह मांग कोई नई नहीं है। पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने भी अंग्रेजों के शासनकाल में ऐसी मांग उठाई थी। आज जब देश में हिंदुओं की सत्ता है, तो यह संस्कृति संरक्षण की जायज मांग है।”

 

उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संकल्प को पूरा करने की अपील की। स्वामी जी ने कहा कि यह कदम न केवल उत्तराखंड की गरिमा को पुनर्स्थापित करेगा, बल्कि हिमालय को देवालय और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के अभियान में भी योगदान देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू संस्कृति अहिंसा पर आधारित है, जो सभी को सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करती है।

 

नवरात्रि के इस अनुष्ठान में मां शांभवी और मां दुर्गा से उत्तराखंड में शांति और समृद्धि की प्रार्थना भी की गई। स्वामी आनंद स्वरूप जी ने विश्वास जताया कि यह संकल्प सनातन धर्म और भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सहयोग से अवश्य पूर्ण होगा।

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