हरिद्वार, 15 अप्रैल। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के सातवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सातवें नवरात्रि के दिन मां काली का पूजन किया जाता है। श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में वर्णन मिलता है कि जब शुभ निशुंभ नामक दैत्यों ने पाताल लोक से पृथ्वी लोक पर आकर ब्रह्मा की तपस्या कर उनसे स्त्री द्वारा अपनी मृत्यु का वरदान प्राप्त कर विचार करते हैं कि जब कोई मनुष्य, देवता, राक्षस या कोई पुरुष हमें मार ही नहीं सकता है तो भला कोई स्त्री हमे क्या मारेगी। यह सोचकर उन्होंने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। इसी बीच रक्तबीज नामक दैत्य ने शिव की तपस्या कर वरदान प्राप्त किया कि मेरे रक्त की एक बूंद पृथ्वी पर गिरने से हजारों रक्तबीज उत्पन्न हों। शुंभ निशुंभ के साथ मिलकर रक्तबीज देवताओं एवं मनुष्यों को सताने लगा। तब सभी देवता एवं मनुष्यों ने मिलकर के मां भगवती की आराधना की। मां भगवती काली रूप में उत्पन्न होकर रक्तबीज का रक्त पान कर शुंभ निशुंभ का संघार कर देती हैं। तभी से भक्त मां काली का पूजन कालरात्रि के रूप में करते हैं। मां कालरात्रि का पूजन करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि हमें अपने सामाजिक दायित्व को निभाना चाहिए। श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। मां मनसा देवी जेल में बंद कैदियों को सद्बुद्धि प्रदान कर सामाजिक जीवन का आशीर्वाद प्रदान करे। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने भी बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि वेद पुराण एवं शास्त्र के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने भीतर से बुराइयों को दूर करना चाहिए। भीतर की बुराइयां तभी दूर होती हैं। जब हम शास्त्रों का अध्ययन करते हैं एवं कथाओं का श्रवण करते हैं। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि श्री अखंड परशुराम अखाड़ा हमेशा समाज कल्याण के लिए आगे रहता है। समय-समय पर जिला कारागार में देवी भागवत, श्रीमद् भागवत, राम कथा सहित कई धार्मिक आयोजन अखाड़े के द्वारा कराए जाते रहे हैं और आगे भी कराए जाएंगे। ताकि हमारे भीतर की बुराइयां दूर हो एवं समाज में अच्छे नागरिक बनकर हम अपना जीवन यापन कर सकें। इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी महाराज, महंत गोविंद दास, महंत रामदास, शुभम गिरी, रूद्रानंद महाराज, अमर उपाध्याय, संतोष दीक्षित, लोकेश कुमा, खुश उपाध्याय, अश्मित कौशिक, हर्ष पंडित, आशीष, सोनू, शशिकांत आदि मौजूद रहे।