हरिद्वार, 13 अप्रैल। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के पंाचवे दिवस की कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि देवराज इंद्र तथा देवताओं पर जब-जब संकट आया तो मां भगवती ने हमेशा उनकी रक्षा की। शास्त्री ने बताया कि एक बार देवताओं के गुरु बृहस्पति जब स्वर्ग पहुंचे तो देवताओं ने उन्हें अनदेखा कर दिया। जिस कारण देव गुरु बृहस्पति ने समस्त देवताओं का त्याग कर दिया और गिरिकंदरा में जाकर तपस्या करने लगे। बिना गुरु के गति नहीं होती है। गुरु ही असत्य से सत्य की ओर चलने की प्रेरणा देता है और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। इंद्र ने गुरु के ना रहने पर त्वष्टाऋषि के पुत्र विश्वरूप को गुरु बनाया। विश्वरूप ने इंद्र को नारायण कवच का ज्ञान दिया। परंतु विश्वरूप जब यज्ञ करते तब असुरों के लिए भी यज्ञ में आहुति प्रदान कर देते। इंद्र ने यह देख कर विश्वरूप का वध कर दिया। विश्वरूप के पिता त्वष्टाऋषि को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने यज्ञ किया और यज्ञ द्वारा वृत्तासुर की उत्पत्ति हुई। वृत्तासुर ने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि मेरी मृत्यु किसी से ना हो। तब इंद्र ने भगवान नारायण के कहने पर मां भगवती की तपस्या की। मां भगवती ने प्रसन्न होकर के इंद्र को आशीर्वाद दिया। मां भगवती के आशीर्वाद से इंद्र ने वज्र द्वारा वृत्तासुर का वध किया। परंतु इंद्र को ब्रहम हत्या लग गई। ब्रह्महत्या के निवारण के लिए इंद्र ने नौ दिनों तक देवी भागवत कथा का श्रवण किया। मां भगवती की कृपा से ब्रह्महत्या से मुक्त हुए। शास्त्री ने बताया कि नवरात्रि में जो श्रद्धालु भक्त देवी भागवत कथा का पाठ और पूजन करता है। मां भगवती उसके समस्त कष्टों एवं संकटों को दूर कर देती है। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि मां के गर्भ से कोई भी अपराधी बनाकर जन्म नहीं लेता है। सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों से पीड़ित होकर जाने अनजाने में मनुष्य अपराध कर बैठता है। देवी भागवत कथा श्रवण करने और अपने अपराधों का प्रायश्चित करने पर मां की कृपा से कारगर से मुक्ति मिल सकती है। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधीर कौशिक ने बताया कि बंदियों के सुधार के लिए उन्हें देवी भागवत कथा का श्रवण कराया जा रहा है। बहुत जल्द राम कथा एवं श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन भी बंदी गृह में किया जाएगा। ताकि बंदियों के जीवन में परिवर्तन आ सके। इस अवसर पर स्वामी रूद्रानंद महाराज, कुलदीप शर्मा, अश्मित कौशिक, हर्ष पंडित, आशीष, सोनू, शशिकांत आदि मौजूद रहे।
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