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सेना को मिला एआई-आधारित ‘ऑटोमैटिक टारगेट क्लासिफाइंग सिस्टम’ का पेटेंट

नई दिल्ली, 11 सितंबर। भारतीय सेना ने एक नया स्वदेशी एआई-आधारित रक्षा तकनीक पेटेंट करवाया है जो ‘Automatic Target Classifying System’ नाम से जाना जाएगा। यह प्रणाली राडार पर आने वाले लक्ष्यों (targets) को मानवीय हस्तक्षेप के बिना पहचानने और वर्गीकृत करने में सक्षम है।

 

 

 

मुख्य विशेषताएँ:

 

इन-हाउस विकास: यह सिस्टम पूरी तरह भारतीय सेना द्वारा ही विकसित किया गया है, विशेष रूप से कर्नल कुलदीप यादव के नेतृत्व में।

 

कैसे काम करता है:

यह संयंत्र (system) सेंसर और उन्नत (advanced) एल्गोरिदम की सहायता से रियल-टाइम इमेज एवं राडार सिग्नल स्कैन करेगा, जिन्हें डेटाबेस के साथ मिलाया जाएगा, जिससे जल्द और सटीक पहचान हो सकेगी।

 

उच्च प्रासंगिकता: मिसाइल गाइडेंस, सीमा सुरक्षा और अन्य रक्षा अभियानों में इसका उपयोग बढ़ेगा क्योंकि यह त्वरित निर्णय और सटीकता प्रदान करता है।

 

 

 

 

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह कदम

 

सेना ने इसके आधिकारिक X (formerly Twitter) पोस्ट में बताया है कि इस नवप्रवर्तन (innovation) से तकनीकी आत्मनिर्भरता, सेना की इनोवेशन क्षमता और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को बल मिलेगा।

 

 

 

⚙️ पिछला कारनामाः

 

कर्नल यादव को पहले भी एक पेटेंट मिल चुका है: 2023 में उन्होंने एक AI-पावर्ड एक्सीडेंट प्रिवेंशन सिस्टम का पेटेंट प्राप्त किया था, जो चालक की थकान या नींद को पहचान कर उन्हें अलर्ट करता है।

 

 

 

 

यह तकनीक न सिर्फ देश की रक्षा बलों की क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि भविष्य में स्थापित होती हुई सुरक्षा चुनौतियों के सामना करने में भारतीय सैन्य विज्ञान को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी।

 

 

 

(सम्पादकीय टिप्पणी)

यह खबर रक्षा एवं तकनीकी क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार की प्रगति का उदाहरण है — जहाँ हमारी सेनाएँ केवल बाहरी स्रोतों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि अपनी क्षमताओं का विकास कर रही हैं।

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