उत्तराखंड की धार्मिक नगरी हरिद्वार में सामने आए करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, और एसडीएम अजयवीर सिंह शामिल हैं। यह कार्रवाई स्वतंत्र पत्रकार रामेश्वर गौड़ द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे के परिणामस्वरूप हुई है।
मुख्य बिंदु:
हरिद्वार नगर निगम ने एक कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदा, जबकि उसकी वास्तविक बाजार कीमत मात्र 10–15 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
भूमि खरीद में बोली प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए पारदर्शिता का उल्लंघन किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं।
स्वतंत्र पत्रकार रामेश्वर गौड़ ने इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
निलंबित अधिकारियों की सूची:
1. कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी, हरिद्वार
2. वरुण चौधरी – पूर्व नगर आयुक्त
3. अजयवीर सिंह – एसडीएम
4. निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम
5. विक्की – वैयक्तिक सहायक
6. राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो
7. कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील
8. आनंद सिंह मिश्रवाण – प्रभारी अधिशासी अभियंता
9. रविंद्र कुमार दयाल – सहायक नगर आयुक्त
10. लक्ष्मीकांत भट्ट – कर एवं राजस्व अधीक्षक
11. दिनेश चंद्र कांडपाल – अवर अभियंता
12. वेदवाल – संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
मुख्यमंत्री का बयान:
“धर्मनगरी में भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पत्रकार रामेश्वर गौड़ की टिप्पणी:
“हरिद्वार की जमीनें किसी की निजी जागीर नहीं हैं। ये भूमि संतों की तपस्या, जनमानस की श्रद्धा और राष्ट्र की आस्था की प्रतीक हैं। अगर कोई इन्हें व्यापार का साधन बनाता है तो ये केवल भ्रष्टाचार नहीं – एक अधार्मिक अपराध है। मेरा काम था सच्चाई दिखाना, और जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाना। आज की कार्रवाई जनमत की जीत है।”