चीन पर निर्भरता घटी, ‘मेड इन इंडिया’ खिलौनों को मिलेगा बढ़ावा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत को वैश्विक खिलौना निर्माण केंद्र बनाने के लिए एक व्यापक ‘नेशनल एक्शन प्लान’ तैयार किया है। इसके तहत 21 विशिष्ट कार्य बिंदुओं पर तेजी से काम किया जा रहा है। यह योजना ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड के तहत उच्च गुणवत्ता, नवीन और टिकाऊ खिलौनों के उत्पादन को बढ़ावा देगी, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
चीन से आयात में भारी गिरावट
सरकार की पहल के चलते भारत में खिलौना आयात में चीन की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013 में 94% थी, जो वित्त वर्ष 2024 में 64% रह गई। वर्ष 2013 में भारत का चीन से कुल खिलौना आयात 1855 करोड़ रुपये था, जो 2024 में घटकर 355 करोड़ रुपये रह गया।
21 बिंदुओं पर हो रहा कार्य
‘नेशनल एक्शन प्लान’ के तहत सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है—
मूल सीमा शुल्क बढ़ाया गया, घटिया आयात पर अंकुश
प्रत्येक आयात खेप का नमूना परीक्षण अनिवार्य
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू
क्लस्टर-आधारित विनिर्माण को बढ़ावा
10 साल में खिलौना विनिर्माण इकाइयों में दोगुनी वृद्धि
भारत का खिलौना बाजार 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सरकार ने टियर-2 शहरों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और उद्योगों के साथ सहयोग के लिए 16 महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं।
वैश्विक खिलौना बाजार में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 तक वैश्विक खिलौना बाजार 35 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। सरकार की इस नई नीति से भारतीय खिलौना उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी।
मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बढ़ावा
‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले (IFPD) पर बुनियादी सीमा शुल्क को 10% से बढ़ाकर 20% किया गया है, जिससे घरेलू विनिर्माण को मजबूती मिलेगी।
सरकार के इन प्रयासों से भारतीय खिलौना उद्योग नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा और देश जल्द ही वैश्विक खिलौना बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।