मंदिर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस प्रदान किया है।वृंदावन: प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इस लाइसेंस के जरिए अब मंदिर विदेशी दान और अंशदान प्राप्त कर सकेगा।
न्यायालय द्वारा गठित प्रबंधन समिति ने किया आवेदन
मंदिर का प्रबंधन वर्तमान में न्यायालय द्वारा गठित एक प्रबंधन समिति के अधीन है। प्रबंधन समिति ने एफसीआरए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। पहले यह मंदिर पुजारियों के एक परिवार द्वारा निजी रूप से संचालित किया जाता था। गृह मंत्रालय ने आवेदन प्रक्रिया को पूरा कर, न्यायालय की मंजूरी के बाद लाइसेंस जारी किया।
विदेशी मुद्रा और दान की जरूरतें
सूत्रों के अनुसार, बांके बिहारी मंदिर के खजाने में पहले से ही बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्राएं प्राप्त हुई थीं। साथ ही, मंदिर विदेशों से दान स्वीकार करने की योजना भी बना रहा था। एफसीआरए लाइसेंस प्राप्त होने के बाद अब यह प्रक्रिया कानूनी रूप से मान्य होगी।
एफसीआरए के नियम और आवश्यकता
कानून के अनुसार, विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं को एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। लाइसेंस मिलने से बांके बिहारी मंदिर अब विदेशों में बसे श्रद्धालुओं से दान और अंशदान प्राप्त कर सकेगा, जिससे मंदिर के विकास और सामाजिक कार्यों में सहायता मिलेगी।
मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता
बांके बिहारी मंदिर न केवल वृंदावन बल्कि पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन करने आते हैं। एफसीआरए लाइसेंस मिलने के बाद अब मंदिर के प्रबंधन और विकास में नई संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा।