हरिद्वार। सांसद दयानिधि मारन के संसद में दिए गए संस्कृत विरोधी बयान के खिलाफ संस्कृत प्रेमियों ने जोरदार आक्रोश रैली निकाली। संस्कृत भारती सहित विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के नेतृत्व में यह रैली रानीपुर मोड़ से ऋषिकुल चौक तक आयोजित की गई, जिसमें संस्कृत विद्यालयों के शिक्षक, छात्र, विद्वान और बड़ी संख्या में संस्कृत अनुरागी शामिल हुए।
रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने “संस्कृत भारत की आत्मा है”, “संस्कृत का अपमान सहन नहीं” और “संस्कृत के बिना भारत अधूरा” जैसे नारे लगाकर सांसद के बयान की कड़ी निंदा की।
गरीबदासीय आश्रम के प्रमुख स्वामी रविदेव ने कहा, “संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान है। इसे नकारना भारतीय संस्कृति को नकारने जैसा है।” वहीं, स्वामी हरिहरानंद ने कहा, “संस्कृत को अप्रासंगिक बताने वाले इतिहास और भारतीय परंपरा से अनभिज्ञ हैं। हमें इसके संरक्षण के लिए संगठित होकर कार्य करना होगा।”
संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री गौरव शास्त्री ने चेतावनी दी कि यदि सांसद दयानिधि मारन ने अपना बयान वापस लेकर माफी नहीं मांगी, तो प्रदेशभर में बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। प्रोफेसर डॉ. निरंजन मिश्र ने कहा, “संस्कृत विरोधी बयान देना भारत की ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का अपमान है।”
संस्कृत संगठनों ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही माफी नहीं मांगी गई, तो उत्तराखंड के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई जाएगी।
रैली में राजेंद्र पुनेठा, वाणीभूषण भट्ट, कुलदीप पंत, केशव बलियानी, प्रकाश जोशी, प्रवीण बंगवाल, नवीन पंत, रितेश वशिष्ठ, डॉ. पवन कुमार, विवेक शुक्ल सहित कई संस्कृत प्रेमी उपस्थित रहे।