अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने कांवड़ यात्रा को लेकर शिवभक्तों से विशेष अपील की है। उन्होंने कांवड़ियों से सनातन धर्म की मर्यादा और शांति का पालन करने का आह्वान करते हुए कहा कि यात्रा के दौरान ऐसा कोई कार्य न करें जिससे किसी को परेशानी हो। सनातन धर्म की खूबी उसकी सौम्यता, शांति और सहिष्णुता में निहित है, और इसे बनाए रखना प्रत्येक कांवड़िए का दायित्व है।
महंत रविंद्र पुरी ने चिंता जताई कि कुछ उपद्रवी तत्व कांवड़ यात्रा के माध्यम से सनातन धर्म को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कांवड़ियों से अनुरोध किया कि वे अपनी यात्रा को शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित बनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारी और दो कंधों वाली कांवड़ के बजाय हल्की और एक कंधे वाली कांवड़ ले जाएं, ताकि सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था बाधित न हो और अन्य यात्रियों को भी आवागमन में सुविधा रहे।
उन्होंने कहा, “कांवड़ यात्रा सनातन धर्म में बहुत महत्व रखती है, लेकिन इसका उद्देश्य भक्ति और श्रद्धा है, न कि अराजकता। हमें ऐसी कांवड़ ले जानी चाहिए जो दूसरों के लिए असुविधा का कारण न बने। हल्की कांवड़ और सीधी यात्रा से हम अपनी भक्ति को और पवित्र बना सकते हैं।”
महंत रविंद्र पुरी ने यह भी अपील की कि कांवड़िए नशा-मुक्त यात्रा करें, जैसा कि उन्होंने पहले भी एक साक्षात्कार में कहा था। उनका मानना है कि नशा-मुक्त कांवड़ यात्रा से न केवल सनातन धर्म की गरिमा बढ़ेगी, बल्कि यह पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश भी देगा।
श्री महंत रविंद्र पुरी ने यह भी कहा कि सनातन धर्म की शक्ति और ज्ञान परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए संत समाज और अखाड़ा परिषद प्रयासरत है। वे चाहते हैं कि कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन सनातन संस्कृति की इस महान परंपरा को और मजबूत करें।
कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों शिवभक्तों से संत समाज की यह अपील न केवल धार्मिक मर्यादा को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और व्यवस्था को भी बढ़ावा देगी।