रामनवमी के अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने सभी देशवाशियों को रामनवमी की बधाई दी उन्होंने अपने बधाई संदेश में सोशल मीडिया के जरिए लिखा , जिनके सुंदर नाम को ह्रदय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते हैं। जिनके समान कोई दूजा नाम नहीं है। जिनके स्मरण मात्र से सारे संकट मिट जाते हैं। ऐसे प्रभु श्रीराम को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।
कलयुग में न तो योग, न यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है। एक मात्र राम का गुणगान ही जीवों का उद्धार है।
संतों का कहना है कि प्रभु श्रीराम की भक्ति में कपट, दिखावा नहीं आंतरिक भक्ति ही आवश्यक है। गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं – ज्ञान और वैराग्य प्रभु को पाने का मार्ग नहीं है बल्कि प्रेम भक्ति से सारे मैल धूल जाते हैं। प्रेम भक्ति से ही श्रीराम मिल जाते हैं।
अगस्त्यसंहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी, के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, कर्कलग्न में जब सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तभी साक्षात् भगवान् श्रीराम का माता कौशल्या के गर्भ से जन्म हुआ। आज के दिन का विशेष महत्व है।
त्रेता युग में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्रह्माण्ड नायक अखिलेश ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था।
राम का जन्म दिन के बारह बजे हुआ था, जैसे ही सौंदर्य निकेतन, शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए हुए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हुए तो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो गईं।
राम के सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे। देवलोक भी अवध के सामने श्रीराम के जन्मोत्सव को देखकर फीका लग रहा था। जन्मोत्सव में देवता, ऋषि, किन्नर, चारण सभी शामिल होकर आनंद उठा रहे थे।
हम प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं और राममय होकर कीर्तन, भजन, कथा आदि में रम जाते हैं।
रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना का श्रीगणेश किया था। समस्त देशवासियों को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर बना रहे। हर हर महादेव।