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अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने एक बार फिर पेश की मिसाल

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने स्वास्थ्य विभाग को प्रदान कीं एम्बुलेंस, कांवड़ यात्रा में निःशुल्क सेवा का संकल्प

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और खुले हाथों लोगों की मदद एवं दान के लिए पहचाने जाने वाले दानवीर संत श्री महंत रविंद्र पुरी महाराज ने एक बार फिर अपनी उदारता और समाजसेवा की मिसाल पेश की है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को दो आधुनिक एम्बुलेंस प्रदान की हैं, जो आगामी कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सेवा के लिए निःशुल्क उपलब्ध रहेंगी। इस नेक कार्य में अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए महाराज जी ने इन एम्बुलेंस के ड्राइवरों और डीजल का खर्च भी स्वयं वहन करने का संकल्प लिया है, ताकि यह सुविधा निर्बाध रूप से लोगों तक पहुँच सके।

रविंद्र पुरी महाराज का यह दान केवल एक सहायता नहीं, बल्कि उनके विशाल हृदय और समाज के प्रति उनकी गहरी जिम्मेदारी का प्रतीक है। अखाड़ा परिषद, जो हिंदू धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए जाना जाता है, उनके नेतृत्व में सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इन एम्बुलेंस के माध्यम से कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि रविंद्र पुरी महाराज का यह योगदान ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाएगा। विशेष रूप से कांवड़ यात्रा जैसे विशाल आयोजन में, जहाँ लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, ये एम्बुलेंस जीवन रक्षक साबित होंगी।

रविंद्र पुरी महाराज की दानशीलता यहीं तक सीमित नहीं है। वे समय-समय पर शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सामाजिक कार्यों के लिए बड़े-बड़े दान करते रहे हैं। चाहे वह गरीबों की सहायता हो, शिक्षा के लिए संसाधन जुटाना हो, या आपदा के समय राहत कार्य, महाराज जी हमेशा सरकार और जनता के लिए उपलब्ध रहते हैं। उनकी उदारता और निस्वार्थ सेवा ने उन्हें एक सच्चे दानवीर के रूप में स्थापित किया है, जिनका जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित है।

उनके इस कार्य की प्रशंसा करते हुए स्थानीय लोगों ने कहा, “रविंद्र पुरी महाराज केवल एक संत ही नहीं, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा हैं। उनका हर कार्य हमें निःस्वार्थ सेवा का संदेश देता है।” इस दान के माध्यम से एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिया कि धर्म और समाजसेवा एक-दूसरे के पूरक हैं।

 

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