हरिद्वार, 16 अप्रैल। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के तत्वाधान में जिला कारागार रोशनाबाद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के अष्टम् दिवस की कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि एक बार एक दुर्गमासुर नामक अहंकारी असुर था। चारों ओर तबाही मचा रहा था। माँ आदिशक्ति पार्वती उस दानव को रोकने गई। माँ जगदंबा ने उस असुर को समझाने का प्रयत्न भी किया। लेकिन वह दुष्ट असुर अपने कुकर्मों के लिए क्षमा मांगना तो दूर, उल्टा माता रानी को ही खराब नजरों से देखने लगा। शिव तो योगसमाधि में थें। उनकी अनुपस्थिति में वह असुर सोच रहा था कि कि माता पार्वती से विवाह कर लेगा। माता पार्वती ने इस असभ्य राक्षस के अभिमान को सदा के लिए खत्म करने का निर्णय लिया। माता ने अपना प्रचंड रूप धारण कर उस दुष्ट की सेना का सर्वनाश किया और अंत में अपना त्रिशूल दुर्गमासुर के सीने में घुसा कर उसका वध कर दिया। दुर्गमासुर का विनाश करने के कारण माता पार्वती का नाम दुर्गा पड़ा। माता पार्वती ने इसी दुर्गा रूप में महिषासुर का भी वध किय और उन्हें महिषासुरमर्दिनी नाम मिला। कथाव्यास ने कहा कि माता रानी हमेशा दुष्टों का विनाश करती हैं। माता पार्वती का महादेव की अनुपस्थिति में दुर्गमासुर का वध करना यह दर्शता है कि नारी अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम है। इस कथा से यही सीख मिलती है। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया जेल में बंद कैदियों के सुधार के लिए समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रम जिला कारागार में किए जाते हैं। श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि संत महापुरुषों की प्रेरणा से समाज में सनातन का प्रचार हो समाज में बुराइयां दूर हो सब अच्छे मार्ग पर चलें। इसी उद्देश्य के साथ श्री अखंड परशुराम अखाड़ा समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन करता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अच्छे संकल्प लेकर आगे बढ़ना चाहिए। इस अवसर पर वृंदावन धाम से श्री राधा रमन मंदिर सेवा अधिकारी आदित्य गोस्वामी, साधना गोस्वामी, डा.गौरव अग्रवाल, विक्रम सिंह ठाकुर, सोमपाल कश्यप, राकेश उपाध्याय, डा.राकेश गैरोला, अश्मित कौशिक, हर्ष पंडित, विष्णु गौड, आशीष, सोनू, शशिकांत आदि मौजूद रहे।