हरिद्वार, श्री तारकेश्वर धाम में चल रहे नवरात्रि के अनुष्ठान का आज कन्या पूजन के साथ भव्य समापन किया गया। तारकेश्वर धाम के महंत निर्मल दास ने कहा कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए हम कन्या पूजन करते हैं जिससे जीवन में भय ,विघ्न और शत्रुओं का नाश होकर सुख-समृद्धि आती है। इन कन्याओं में मां दुर्गा का वास रहता है। नवरात्रि में कुमारी पूजन का बहुत महत्व है। दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्याओं का इस व्रत में पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया देवी भगवत पुराण के अनुसार कन्या के जन्म का एक वर्ष बीतने के पश्चात कन्या को कुंवारी की संज्ञा दी गई है। अतः दो वर्ष की कन्या को कुमारी,तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति,चार वर्ष की कल्याणी,पांच वर्ष की रोहिणी, छह वर्ष की कलिका,सात वर्ष की चंडिका,आठ वर्ष की शाम्भवी,नौ वर्ष की दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा के सामान मानी जाती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं साक्षात शक्ति का स्वरुप मानी गई हैं। दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि दुर्गा पूजन से पहले भी कन्या का पूजन करें ,तत्पश्चात ही माँ दुर्गा का पूजन आरम्भ करें।
महंत निर्मल दास ने कन्याओं का पूजन करते समय सर्वप्रथम शुद्ध जल से उनके चरण धोए तत्पश्चात उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठा कर खीर, पूरी, चने, हलवा आदि का कन्याओं को भोजन कराया। उसके बाद यथाशक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर कन्याओं को विदा किया ।