भगवानपुर (हरिद्वार): ग्रामसभा मंडावर, तहसील भगवानपुर के ग्रामीणों ने क्षेत्र में संचालित जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण प्लांट के विस्तार पर गहरी आपत्ति जताई है। ग्रामीणों का आरोप है कि MPCC कंपनी द्वारा संचालित यह प्लांट वर्ष 2004 में गांव की सहमति के बिना और भ्रामक जानकारी देकर स्थापित किया गया था। उस समय यह कहा गया था कि यहां बिस्कुट बनाने की फैक्टरी लगेगी, जबकि वास्तव में बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण केंद्र स्थापित कर दिया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्लांट से निकलने वाली काली राख, धुआं और दुर्गंध के कारण क्षेत्र की वायु, जल और भूमि बुरी तरह प्रदूषित हो रही है। इसके चलते लोगों में श्वसन संबंधी बीमारियों सहित कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। ग्रामीणों के अनुसार, प्लांट की वर्तमान क्षमता 100 किलोग्राम प्रति घंटा है और अब इसे बढ़ाकर 300 किलोग्राम प्रति घंटा किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि प्लांट में वैज्ञानिक उपकरणों की स्थिति जर्जर है। अस्पतालों से आने वाला पीला रंग वाला कचरा बिना उचित प्रक्रिया के सीधे डीजल डालकर दो भट्टियों में जलाया जा रहा है, जबकि सरकार की ओर से केवल एक भट्टी के संचालन की अनुमति है। इतना ही नहीं, परिसर में लगे ETP (इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) की मशीनें बंद पड़ी हैं और निकलने वाला गंदा पानी सीधे जमीन में डाला जा रहा है, जिससे भूजल भी प्रदूषित हो चुका है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे प्लांट के 500 मीटर के दायरे में कोई भी आबादी नहीं होनी चाहिए, जबकि मंडावर स्थित इस प्लांट से महज 10 मीटर की दूरी पर रिहायशी कॉलोनी स्थित है, जहां सैकड़ों लोग निवास कर रहे हैं। हाल ही में प्लांट में लगी एक चिमनी को हटाकर सीमेंट की नई चिमनी बनाई जा रही है, जिसके लिए किसी भी विभाग से अनुमति नहीं ली गई है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पंचायत सदस्यों ने इस मुद्दे पर एकजुटता जताई है और मांग की है कि इस प्लांट को तत्काल बंद किया जाए तथा इसे किसी निर्जन स्थान पर स्थानांतरित किया जाए, ताकि ग्रामीणों का जीवन सुरक्षित रह सके। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि कंपनी को प्लांट विस्तार की अनुमति दी गई, तो वे बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन करने को विवश होंगे।
ग्रामीणों की ओर से संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया है और मांग की गई है कि जनभावनाओं तथा जनस्वास्थ्य को देखते हुए तत्काल प्रभाव से कठोर कदम उठाए जाएं।