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प्रयागराज महाकुंभ में दो दिवसीय धर्म संवाद सनातन वैदिक राष्ट्र के संकल्प के साथ संपन्न

 

प्रयागराज, 26 जनवरी 2025:

प्रयागराज महाकुंभ में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय धर्म संवाद का समापन सनातन वैदिक राष्ट्र के संकल्प के साथ हुआ। इस आयोजन में हजारों संतों, सनातन धर्म के अनुयायियों और हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का नेतृत्व महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने किया।

 

धर्म संवाद के मुख्य बिंदु:

इस्लामिक जिहाद को वैचारिक चुनौती: श्रीमहंत हरि गिरी जी, श्रीमहंत प्रेम गिरी जी और श्रीमहंत नारायण गिरी जी के मार्गदर्शन में जूना अखाड़ा सनातन धर्म पर हो रहे आघातों का सामना करने के लिए तैयार है।

वक्फ बोर्ड समाप्त करने की मांग: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने वक्फ बोर्ड को तत्काल समाप्त करने और सनातन बोर्ड के गठन की आवश्यकता पर जोर दिया।

 

बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए आवाज: धर्म संवाद में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वहां हिंदुओं के लिए एक अलग राष्ट्र बनाने हेतु सेना भेजने की मांग की।

 

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी को मिला समर्थन:

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े ने घोषणा की कि वह महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज के नेतृत्व में इस्लामिक जिहाद के खिलाफ वैचारिक लड़ाई लड़ेंगे। श्रीमहंत हरि गिरी जी ने कहा, “आज मानवता पर सबसे बड़ा खतरा इस्लामिक कट्टरता से है। इसे वैचारिक रूप से पराजित करना अनिवार्य हो गया है।”

विशेष भागीदारी:

धर्म संवाद में जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के अनिल चौधरी, ममता सहगल और उनके साथियों ने विशेष भूमिका निभाई। साथ ही, जगद्गुरु परमहंसाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु गर्गाचार्य महेंद्रानंद गिरी जी, महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती जी, और करौली सरकार सहित अनेक संतों ने अपने विचार रखे।

 

कार्यक्रम में यति रामस्वरूपानंद, यति सत्यदेवानंद, यति यतींद्रानंद, यति अभयानंद, और यति निर्भयानंद सहित कई अन्य संतों और भक्तों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प:

धर्म संवाद में उपस्थित हजारों संतों और अनुयायियों ने सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान देने का संकल्प लिया।

इस ऐतिहासिक आयोजन ने सनातन धर्म के प्रति संन्यासियों और अनुयायियों की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

 

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