प्रयागराज, 24 जनवरी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में महाकुंभ-2025 के अवसर पर प्रयागराज में उत्तराखण्ड का भव्य पवेलियन स्थापित किया गया है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित इस महाकुंभ में उत्तराखण्ड पवेलियन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है।
देवभूमि के दर्शन और समृद्ध संस्कृति की झलक
उत्तराखण्ड पवेलियन में केदारनाथ और बद्रीनाथ द्वार के माध्यम से प्रवेश और निकास की भव्य व्यवस्था की गई है। पवेलियन के भीतर चारधाम—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ—की दिव्य प्रतिकृतियां, हर की पैड़ी और गंगा की पावन धारा को दर्शाया गया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप शीतकालीन चारधाम और मानसखंड मंदिर माला के अंतर्गत जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू देवता और नीम करोली बाबा की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की गई हैं।
कला, संस्कृति और विशिष्ट उत्पादों का प्रदर्शन
उत्तराखण्ड पवेलियन में राज्य की समृद्ध कला-संस्कृति, हस्तशिल्प, हथकरघा और विशिष्ट उत्पादों जैसे ‘हिमाद्री’ और ‘हाउस ऑफ हिमालया’ का प्रदर्शन किया गया है। खादी, बांस, फाइबर उत्पाद, योग और आयुर्वेद की प्रदर्शनी और बिक्री की भी व्यवस्था की गई है। यहां हर शाम आयोजित सांस्कृतिक संध्या में उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति की झलक मिलती है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है।
श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
पवेलियन में प्रतिदिन 10,000 से 15,000 तीर्थ यात्री भ्रमण कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए आवासीय सुविधा, स्थानीय भोजन और उत्कृष्ट टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। यहां से निकटतम गंगा घाट मात्र 800 मीटर और पवित्र संगम 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
महाकुंभ-2025: संस्कृतियों का संगम
मुख्यमंत्री ने इस आयोजन को केवल एक मेला न मानकर भारत और विश्व की संस्कृतियों के मिलन का उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि यह पवेलियन 2026 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों के लिए भी उपयोगी साबित होगा।
आयुक्त एवं महानिदेशक उद्योग श्री प्रतीक जैन ने जानकारी दी कि पवेलियन को प्रयागराज में 40,000 वर्गफीट क्षेत्र में स्थापित किया गया है। यह प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन से 8 किमी और एयरपोर्ट से 15 किमी की दूरी पर स्थित है।
उत्तराखण्ड पवेलियन महाकुंभ के श्रद्धालुओं को देवभूमि की दिव्यता और समृद्धि का अनुभव करा रहा है और राज्य की विशिष्टता को विश्वभर में प्रदर्शित करने का माध्यम बन रहा है।