45 वर्षीय किरन पत्नी स्व मुकेश 17 जून को अपने घर से दुकान को निकली लेकिन वह न तो दुकान पहुंची न घर , पुलिस अपने हाथ खड़ी कर रही ,
खबर बहादराबाद की है जहां किरण घर पर अपनी तीन छोटी छोटी बच्चियों को घर पर छोड़कर सिलाई का काम करने बाजार निकली , लेकिन वो न तो दुकान पहुंची न घर, सवाल यह है कि 45 साल की वो मां जिसकी तीन छोटी छोटी बच्चिया है उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया क्योंकि लगभग 15 दिन निकल जाने के बाद भी पुलिस खाली हाथ हैं, या यूं कहे कि पुलिस हाथ में हाथ धरे बैठी है क्योंकि उन छोटी बच्चियों जिनके सामने रोटी खाने को भी अब पैसे नहीं कोई साथ उनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं, जिलाधिकारी से लेकर एस एस पी तक उन बच्चियों ने गुहार लगाई लेकिन किसी के कानों में जू नहीं रेंगी आलम यह है कि कोई उन बच्चियों का हालचाल पूछने तक नहीं गया न ही किसी तरह की आर्थिक सामाजिक मदद दी गई ।
तमाम पार्टीया और उनके नेता जो किसी एक जातीय मुद्दे को।लेकर सड़को पर नंगा नाच करने लगते है कैंडल मार्च और दुनिया भर का दिखावा करते उतरते है उनमें से किसी ने उन बिन मां बाप की बच्चियों के पास सहानुभूति दिखाने तक नहीं गए।
सवाल यह उठता है कि क्या समझ और शासन प्रशासन दोनों भावना विहीन हो गए । क्या सिर्फ उसी के लिए यह अपने प्रयास और जॉब करेंगे जो उनकी जेबें भरेगा । आज जब मैं उनकी बड़ी बेटी आकाशी से मिला तो उसकी कहानी सुनकर मेरी जो हालत हुई वो शायद आप भी समझ सकते हो अगर अब भी आपके अंदर इंसानियत जिंदा है । मैं आज आह्वाहन करना चाहता हर उस इंसान को जो खुद को समाजसेवी या नेता कहता है , कि आगे बढ़े और इन बच्चियों की मदद करें ।