विशाल आयोजन में पहली बार शामिल हुईं देश की प्रख्यात समाजसेवी और अरबपति महिलाओं में से एक, सुधा मूर्ति ने अपनी सादगी और सेवा भावना से सबका दिल जीत लिया। हरे रंग की साड़ी, स्लेटी स्वेटर और क्रीम शॉल में लिपटी सुधा जी की उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि बड़े ओहदे और संपत्ति सादगी के साथ भी जी सकते हैं।
महाकुंभ का अनुभव:
सुधा जी ने बताया कि महाकुंभ के बारे में उन्होंने पहले सिर्फ टीवी पर देखा था। यहां आकर उन्हें व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, “तीन दिन से कुंभ में स्नान कर रही हूं। यह मेरी मन्नत थी। सब जगह घूमकर देखा, प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी है। योगी सरकार ने शानदार इंतजाम किए हैं। यहां अकेले भी रात में घूमने में डर नहीं लगता।”
योगी सरकार को दिया सहयोग का प्रस्ताव:
सुधा मूर्ति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए एक खास प्रस्ताव रखा। उन्होंने अपने जीजाजी के फाउंडेशन का जिक्र करते हुए कहा कि वह शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करते हैं। “मैंने योगीजी से कहा है कि इस फाउंडेशन का लाभ उत्तर प्रदेश को दिलवाएं। उन्होंने हामी भरी है। शिक्षा विभाग से प्रस्ताव आने के बाद कॉलेज विद्यार्थियों को इससे बहुत फायदा होगा।”
सुधा मूर्ति की सादगी का प्रभाव:
राज्यसभा सदस्य, पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से नवाजी जा चुकीं सुधा मूर्ति न केवल एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि महिलाओं और बच्चों की शिक्षा की भी प्रबल समर्थक हैं। महाकुंभ में उनकी उपस्थिति और उनके विचारों ने उनकी सादगी और समाजसेवा के प्रति उनके समर्पण को और स्पष्ट कर दिया।
महाकुंभ के प्रति प्रेरणा:
सुधा जी ने महाकुंभ के अनुभव को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए कहा, “यहां आने से मानसिक और आत्मिक शांति मिली। धार्मिक आयोजन का यह स्तर देखकर गर्व होता है।”
महाकुंभ में सुधा मूर्ति की उपस्थिति ने एक बार फिर यह साबित किया कि सफलता और सादगी का मेल ही असली प्रेरणा है।