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कर्नाटक बना नक्सल मुक्त राज्य: पांच दशक पुरानी समस्या का हुआ अंत

बेंगलुरु, 4 फरवरी 2025 – कर्नाटक को आधिकारिक रूप से नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया है। हाल ही में बचे हुए दो आखिरी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे राज्य सरकार ने इस समस्या के खात्मे की घोषणा की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसे अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया है।

कैसे खत्म हुआ कर्नाटक में नक्सलवाद?

कर्नाटक में नक्सलवाद की जड़ें 1970 के दशक में पड़ी थीं, लेकिन 2000 के बाद हिंसा में तेजी आई। पुलिस जीप पर बम हमला (2005), सब-इंस्पेक्टर की हत्या (2007), और भोज शेट्टी की हत्या (2008) जैसी घटनाएं राज्य में नक्सल प्रभाव का प्रमाण थीं। हालांकि, सरकार की सख्त नीतियों और सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन ने इस समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया।

2010 में केंद्र सरकार ने कर्नाटक को नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची से हटा दिया था, लेकिन मलनाड क्षेत्र में गतिविधियां बनी रहीं। 2016 में 9 नक्सलियों ने सरेंडर किया और बाकी बचे 19 केरल चले गए। लेकिन वहां भी उन्हें समर्थन नहीं मिला और वे धीरे-धीरे कमजोर होते गए।

सुरक्षाबलों की निर्णायक कार्रवाई

2023 में पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से पश्चिमी घाट जोनल कमेटी के प्रमुख संजय दीपक राव को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया, जबकि दो महीने बाद माओवादी नेता कविता को आंध्र प्रदेश में मार गिराया गया।

इसके बाद 2024 में जब केरल भागे 8 नक्सली वापस लौटे, तो पुलिस और नक्सल-रोधी बल (ANF) ने उन्हें सरेंडर के लिए मजबूर कर दिया।

फरवरी 2024 में माओवादी नेता अंगाड़ी सुरेश उर्फ प्रदीप के सरेंडर के बाद नक्सली संगठन पूरी तरह से बिखर गया। जनवरी 2025 में उनकी पत्नी वंजाक्षी और 5 अन्य नक्सलियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया।

आखिरी दो नक्सलियों का सरेंडर

पुलिस को सिर्फ कोथेहुंडा रविंद्र और थोंबुटु लक्ष्मी की तलाश थी, जिन्हें कर्नाटक का आखिरी नक्सली माना जा रहा था। बीते हफ्ते दोनों ने चिकमंगलूर और उडुपी में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके साथ ही कर्नाटक को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया गया।

राजनीति शुरू, किसे मिल रहा श्रेय?

राज्य सरकार इस उपलब्धि का श्रेय अपने सख्त सुरक्षा अभियान और पुनर्वास नीतियों को दे रही है। वहीं, विपक्ष का दावा है कि इससे पहले की सरकारों ने ही नक्सलवाद खत्म करने की नींव रखी थी।

हालांकि, राजनीतिक बहस से अलग यह स्पष्ट है कि कर्नाटक ने एक लंबी लड़ाई के बाद नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्ति पा ली है, जो राज्य की शांति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

 

 

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