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मनाया गया करपात्री जी महाराज का प्राकट्य उत्सव

सनातन धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज का 117 वां प्रकटय महोत्सव पीठ परिषद आदित्य वाहिनी आनंद वाहिनी पश्चिम बंगाल के तत्वाधान में संघ सभागार 217, रविंद्र सारणी, कोलकाता में डॉक्टर विट्ठल दास मुंद्रा (अध्यक्ष सिंपलेक्स ग्रुप) विशिष्ट समाज सेवी एवं उद्योगपति के अध्यक्षता में मनाया गया ।

डा रविंद्र भट्टाचार्य पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग कोलकाता विश्वविद्यालय ने अपने उद्ध घोषणा में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महराज के द्वारा विरचित ग्रंथ का एवं उनके जीवन पर प्रकाश डाला ।

पूर्व करनल राजीव श्रीवास्तव (रक्षा कमेंटेटर ) ने राष्ट्र रक्षा के लिए अभियान चलाने के लिए लोगों को अपील किया ।

डॉ राजश्री शुक्ला हिंदी विभाग अध्यक्ष कोलकाता विश्वविद्यालय ने कहां उनके जैसा सिद्ध पुरुष, संत, राष्ट्र भक्त ना कोई हुआ ना आगे होगा ।

श्री प्रेमचंद झा जी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा पूज्य करपात्री जी महाराज का जन्म प्रतापगढ़ जिला के भटनी गांव में वेद पार्टी ब्राह्मण राम निधि ओझा एवं शिवरानी के तृतीय पुत्र के रूप में श्रावण शुक्ल द्वितीया सन 1907 ईस्वी में हुआ था। उनका बचपन का नाम हरि नारायण ओझा था ।

17 वर्ष के उम्र में घर त्याग प्रयागराज के लिए प्रस्थान किया, रास्ते में बरगद पेड़ के नीचे एक अवधूत संत दर्शन दिए और उन्होंने वेद विद्यालय नरवर गंगा के किनारे जाने को कहा ।

 

वेद अध्ययन के उपरांत वही संत जो वाद मे जोशी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज हुए , उनसे इनका 24 वर्ष के उम्र में सन्यास दीक्षा हुआ एवं ईनका नाम हरिहरानंद सरस्वती पड़ा।

वह सिर्फ हाथ में ही भिक्षा ग्रहण कर करते थे कोई संचय नही करते थे ,इसलिए उनका नाम करपात्री जी महाराज पड़ा।

 

देश में सनातनियों की अवस्था देखकर 1940 ईस्वी में धर्म संघ का स्थापना की एवं 1948 ईस्वी में राजनीतिक पार्टी राम राज्य परिषद का गठन किया ।

बस पार्टी के कई सांसद और विधायक भी चुने गए थे ।

गोरक्षा के लिए देश में उनके आह्वान कर 1966 ईस्वी में जंतर मंतर दिल्ली पर लगभग 15 लाख लोग जमा हुए , लेकिन तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने निहत्थे हजार से अधिक गो भक्तों को मरवा दिया।

पूज्य करपात्री जी महाराज को 52 दिन तक तिहाड़ जेल में रखा गया उनके साथ तिहाड़ जेल में पुरी के जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज एवं अन्य राष्ट्रभक्ति भी थे ।

खूंखार कैदियों खोलकर उसके द्वारा पूज्य धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज पर हमला करवाया गया ।

इस वेदना के कारण काशी में 1982 ईस्वी में अपना शरीर त्याग दिए।

जब पूरे देश में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज द्वारा स्थापित रामराज्य परिषद का वर्चस्व था तब इंदिरा गांधी ने आकर निवेदन किया जो आप कांग्रेस पार्टी को आशीर्वाद दें और सरकार बनते ही गौ हत्या देश में कानून लाकर बंद करवा देंगे , लेकिन सरकार बनते ही इंदिरा गांधी ने पूज्य स्वामी जी को दिए अपने वचन से मुकर गई। धर्म सम्राट करपात्री जी के हृदय में बहुत दुख हुआ ,जिसका परिणाम स्वरूप इंदिरा गांधी का मौत हुआ ।

पूज्य धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी रात्रि मे 2:00 बजे से पहले जाग जाते थे ।

शीर्षासन पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते थे । त्रिकाल संध्या करते थे। पूजन पठन पठान एवं प्रवचन का क्रम हमेशा चलता रहता था ।

राष्ट्र चिंतन में अधिक समय देते थे। उनका प्रवचन वेद शास्त्र सम्मत एवं राष्ट्र पर ही होता था, वही प्रवचन आज उनके शिष्य जगदगुरु शंकराचार्य गोवर्धन पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज में देखने को मिलता है ।

 

उनका उद्घोष था –

धर्म की जय हो –

अधर्म का नाश हो ।

प्राणियों में सद्भावना हो।

विश्व का कल्याण हो ।

गौ माता की जय हो ।

गौ हत्या बंद हो ।

भारत अखंड हो ।

 

श्री अशोक झा

मिथिला विकास परिषद ने अपने भाव में भी उनके जीवन पर प्रकाश डाला ।

पूज्य निर्गुणानंद ब्रह्मचारी,

प्रेम मंदिर रिश्रा ने कहा उनके जैसा धर्मवीर, सन्यासी ,कर्तव्य निष्ठ एवं वर्णाश्रम धर्म के पालन करने वाले कोई नहीं थे, उनका कहना है उनके पद चिन्ह पर हम लोग चलें जैसा वर्तमान मे पुरी शंकराचार्य चल रहे हैं । अध्यक्ष डॉक्टर विट्ठल दास मुंद्रा जी ने सनातन मान बिंदुओं के रक्षा के लिए धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के बारे में चर्चा की । उन्होंने कहा पूज्य जगदगुरु शंकराचार्य गोवर्धन पीठाधीश्वर महाराज जी जो अभियान चला रहे हैं उनमें सहयोगी बन के काम करें ।

आदि शंकराचार्य का मडंन मिश्र एवं उभय भारती के द्वारा किए गए शास्त्रार्थ का भी चर्चा किया। सनातन भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने प्रतियोगिता का भी आयोजन किया है अपने संस्था के द्वारा सभी से उसमें भाग लेने का भी आह्वान किया ।

पंडित लक्ष्मीकांत तिवारी अध्यक्ष पीठ परिषद बंगाल, स्वामी निर्गुणानंद वेदांती, सुरेश चौधरी कवि, डॉ माया शंकर झा, डॉ चंद्रचूड़ गोस्वामी, श्री मूलचंद राठी अध्यक्ष गोवर्धन गौशाला पुरी, देवाशीष गोस्वामी अध्यक्ष आदित्य वाहिनी पश्चिम बंगाल, श्रीमती पिंकी गोस्वामी राष्ट्रीय महामंत्री आनंद वाहिनी, डॉ अशोक पोद्दार कल्याणी गौशाला, श्री पुरुषोत्तम तिवारी एवं श्री प्रकाश किला जी ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किया।

 

श्री राजकुमार मुंद्रा, सुरेश लाभ, माल चंद्र चांडक, अशोक कंदोई, महेश आचार्य, अमित प्रकाश, विनय परहस्त, श्रीमती किरण परहस्त, श्रीमती सोनी त्रिपाठी, शंकर लाल सोमानी, अशोक तिवारी, कमल मैत्रों, गोपाल मिश्रा, कपिल जोशी, पंडित लालजी मिश्र, राजेंद्र गुप्ता, जितेन गोस्वामी, श्री सुरेंद्र अग्रवाल अध्यक्ष विशुद्धानंद हॉस्पिटल, सुश्री सयानी गोस्वामी, श्रीमती अनु त्रिपाठी, श्रीमती मालती तिवारी, श्रीमती ममता सिंह, श्रीमती ममता पाल, श्रीमती श्रीमती बिपाशा भट्टाचार्य, श्रीमती चैताली मलिक, श्रीमती मिठू खेड़ा, श्रीमती पंप बाग श्रीमती उडुपी सरकार श्रीमती मौमिता प्रमाणिक श्रीमती रुण दे लक्ष्मी शर्मा, दिलखुश यादव, सुकांत मंडल, राजकुमार मिश्रा अतुल गरोदिया एवं अन्य सक्रिय रहे कार्यक्रम का संचालन श्री राजेंद्र सोनी ने किया इससे पूर्व पश्चिम बंगाल में श्रीमती निभा प्रकाश के द्वारा आसनसोल एवं दुर्गापुर में वृक्षारोपण एवं धार्मिक कार्यक्रम कराया गया श्री देवाशीष गोस्वामी एवं श्रीमती पिंकी गोस्वामी के माध्यम से शंकराचार्य मठ हावड़ा में रुद्राभिषेक एवं पूजन का कार्यक्रम अभिजीत भट्टाचार्य, सैकत बसु, विदेश चक्रवर्ती, प्रभात मंडल, टूटन घोष, नरेंद्र कर्मकार, पंपा बाग , रूबी सरकार एवं अन्य के द्वारा हुआ। हावड़ा में श्री प्रेमचंद्र झा जी के द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम किया गया।

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