*पणजी (गोवा)* – आज सर्वत्र ‘थूक जिहाद’, ‘गाय की चरबी से बनाए गए घी के पदार्थ, मावा, पेढा, इन्हें प्रसाद के रूप में खुलेआम वितरित किया जा रहा है । श्रद्धालु भक्तिभाव से भगवान को अर्पित करते हैं । यह एक प्रकार से हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धा पर किया जानेवाला बड़ा आघात है । आज अनेक तीर्थस्थलों पर अहिन्दू दुकानदारों की प्रसाद की तथा पूजासामग्री की दुकानें होती हैं । उनके यहां मिलनेवाला प्रसाद तथा पूजासामग्री शुद्ध एवं पवित्र होगी, ऐसा कहा नहीं जा सकता । बाहर से आए श्रद्धालुओं को शुद्ध प्रसाद कहां मिलता है, इसकी जानकारी नहीं होती । इसलिए वर्तमान समय में केवल हिन्दू दुकानदारों को प्रसादशुद्धि हेतु ‘ओम प्रमाणपत्र’ का वितरण आरंभ हुआ है । हिन्दू दुकानदारों को ‘ओम प्रमाणपत्र’ निःशुल्क दिया जानेवाला है । संपूर्ण देश में मंदिर परिसर के हिन्दू दुकानदार ‘ओम प्रमाणपत्र’ अवश्य लें, यह मेरा अनुरोध है, ऐसा आवाहन तेलंगाना के *प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक श्री. टी. राजासिंह* ने किया । गोवा में चल रहे ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के उपलक्ष्य में पणजी, गोवा में के ‘जेट स्क्वेयर बैक्वेट हॉल’ में आयोजित पत्रकार परिषद में वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस पत्रकार परिषद में *‘काशी के ज्ञानवापी, मथुरा के श्रीकृष्णभूमि’ आदि प्रमुख हिन्दू मंदिरों का अभियोग लडनेवाले सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे तथा ‘गोमंतक मंदिर महासंघ’ के राज्य सचिव श्री. जयेश थळी* उपस्थित थे ।
इस समय श्री. रमेश शिंदे ने कहा कि मुसलमानों के आग्रह के कारण देश में सभी उत्पादों के लिए ‘हलाल’ सर्टिफिकेट अनिवार्य किया जा रहा है । हिन्दुओं को भी हलाल प्रमाणित उत्पाद लेने पड़ रहे हैं । तमिलनाडु के मंदिरों में हलाल प्रमाणित पदार्थ बेचे जा रहे थे । यह हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों पर अतिक्रमण है । भगवान को अर्पित किया जानेवाला प्रसाद शुद्ध तथा सात्त्विक होना चाहिए । धर्माचरण करनेवाले हिन्दुओं का यह अधिकार है । हिन्दुओं को शुद्ध तथा अच्छी गुणवत्तावाला प्रसाद मिलने हेतु ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के कार्याध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर के ‘ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा हिन्दू दुकानदारों को ‘ओम प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) का वितरण आरंभ हुआ है । महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर के मंदिर परिसर के 100 प्रसाद बिक्रेताओं को ‘ओम सर्टिफिकेट’ दिया गया है । इसका वितरण संपूर्ण देश के मंदिर परिसर के दुकानदारों को करने हेतु प्रयास किया जाएगा ।
*भारत सरकार की भूमि वक्फ को देना गैरकानूनी है, इसलिए वक्फ बोर्ड को बरखास्त करें !*
इस अवसर पर *सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु जैन* ने कहा कि हिन्दुओं के अनेक प्राचीन मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में हैं; परंतु पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण ये मंदिर जीर्ण हो चुके हैं । उनका जीर्णाेद्धार न किए जाने के कारण ये मंदिर अंतिम क्षण गिन रहे हैं । वास्तव में ये मंदिर हिन्दुओं की अमूल्य धरोहर होने के कारण केंद्र सरकार को उनका जीर्णाेद्धार तथा रखरखाव करना चाहिए, यह हमारी मांग है ।
देश का विभाजन होने पर भारत के अनेक मुसलमान उनकी हजारों एकड भूमि और संपत्ति छोड़कर पाकिस्तान चले गए । उनकी यह संपत्ति इवैक्यू प्रॉपर्टी ऐक्ट, 1950 अनुसार केंद्र सरकार को अपने नियंत्रण में ले लेनी चाहिए थी; परंतु तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह पूरी संपत्ति वक्फ को देकर उसका ‘वक्फ बोर्ड’ बनाया है । इसलिए उनका यह कृत्य पूर्णतः गैरकानूनी है । वास्तव में यह भूमि पाकिस्तान से अपनी संपत्ति छोडकर आए हिन्दुओं को देनी चाहिए थी; परंतु अब ‘वक्फ बोर्ड’ यह भूमि सरकार और निजी लोगों को भाड़े पर देकर करोड़ों रुपए कमा रही है, यह गलत है । सरकार की भूमि लेकर उसी भूमि के लिए सरकार से करोड़ों रुपयो का किराया लेना गैरकानूनी है । इसलिए यह वक्फ बोर्ड बरखास्त किया जाना चाहिए, ऐसा अधिवक्ता जैन ने कहा ।
इस समय *‘गोमंतक मंदिर महासंघ’ के श्री. जयेश थळी* ने आगे कहा कि हमने मंदिर महासंघ की ओर से गोवा के मंदिरों के धार्मिक मेलों में ‘फास्टफूड’ एवं प्लास्टिक की थैलियों के विरुद्ध अभियान चलाया था । उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है । अब हम गोवा के सभी मंदिरों के परिसर में हिन्दू दुकानदारों को ‘ओम सर्टिफिकेट’ आरंभ करने के विषय में बताएंगे । जिससे आनेवाले श्रद्धालुओं को शुद्ध सात्त्विक प्रसाद मिलेगा ।