प्रयागराज, 4 फरवरी 2025: महाकुंभ मेले के दौरान आयोजित हिंदू राष्ट्र सम्मेलन में संत-महात्माओं ने हिंदू राष्ट्र के संविधान का लोकार्पण किया। काली सेना और हिंदू जनजागृति समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में देशभर से आए संतों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने का संकल्प लिया।
सम्मेलन के दौरान शांभवी पीठाधीश्वर प. पू. स्वामी आनंदस्वरूप महाराज ने कहा, “भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना मेरा अंतिम उद्देश्य है। हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद गुरुकुल शिक्षा पद्धति को समाप्त कर दिया गया, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों का पतन हुआ। वर्तमान संविधान में 100 से अधिक बदलाव हो चुके हैं, लेकिन हमारी सनातन संस्कृति और श्रीमद्भगवद्गीता कभी परिवर्तित नहीं हुई। इसलिए, हिंदू राष्ट्र का संविधान भी धर्माधारित और रामराज्य के स्वरूप में होगा।” इस अवसर पर उन्होंने “हम हिंदू हैं…” गीत का लोकार्पण भी किया।
संतों की एकमत सहमति – हिंदू राष्ट्र की स्थापना समय की माँग
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा कि “भारत 18वीं शताब्दी तक एक स्वाभाविक हिंदू राष्ट्र और आर्थिक महाशक्ति था, लेकिन धर्मनिरपेक्ष शासन प्रणाली के कारण हिंदू समाज को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना दिया गया है। दूसरे देशों में बहुसंख्यक समाज को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन भारत में हिंदुओं के साथ ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए, धर्म शिक्षा, जागृति और हिंदू एकता के माध्यम से हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य है।”
ज्योतिर्मठ के दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र के प्रचार के लिए संपूर्ण भारत में विजय यात्रा निकालने का आह्वान करते हुए कहा, “आदि शंकराचार्य ने हिंदू समाज की पुनर्स्थापना के लिए चार पीठों की स्थापना की। अब फिर से हमें हिंदू समाज को जागरूक करने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।”
महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 जागृत चेतनागिरी ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, “मैकॉले द्वारा बनाई गई शिक्षा व्यवस्था ने हिंदुओं को उनके मूल संस्कारों से दूर कर दिया है। यदि गुरुकुल शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवित किया जाए, तो हिंदू समाज सशक्त बनेगा और हिंदू राष्ट्र की स्थापना संभव होगी।”
संतों के नेतृत्व में हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ते कदम
हिंदू जनजागृति समिति के धर्म प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने कहा कि “काली सेना द्वारा प्रस्तुत हिंदू राष्ट्र का संविधान इस बात का संकेत है कि अब हिंदू राष्ट्र की स्थापना का समय आ गया है। इतिहास में जब भी सनातन धर्म पर संकट आया है, तब संतों ने नेतृत्व लेकर समाज को दिशा दी है। आज फिर से संत समाज आगे बढ़कर इस महान कार्य को सिद्ध करने के लिए तत्पर है।”
जुना पंचदशनाम अखाड़ा के कामेश्वरपुरी महाराज ने कहा कि “हिंदू समाज को शक्तिशाली बनने की आवश्यकता है। जैसे घर बनाने के लिए अनेक तत्वों की आवश्यकता होती है, वैसे ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए आर्थिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक शक्ति की जरूरत है।”
हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए संतों का संकल्प
इस अधिवेशन में बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार, बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठ से उत्पन्न खतरों, काशी-मथुरा सहित अन्य मंदिरों की मुक्ति, हिंदू मंदिरों के सरकारीकरण, लव जिहाद, धर्मांतरण, आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर संतों ने गहन विचार-विमर्श किया।
सम्मेलन के समापन पर पूरा क्षेत्र “जयतु जयतु हिंदू राष्ट्रम्”, “सनातन वैदिक हिंदू धर्म की जय हो”, “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। सम्मेलन का संचालन हिंदू जनजागृति समिति के श्री सुनील कदम ने किया।