हरिद्वार, 31 मार्च: श्री अखंड परशुराम अखाड़े के तत्वावधान में श्री बिल्केश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान विष्णु द्वारा मधु-कैटभ दैत्यों की उत्पत्ति और संहार की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि महाप्रलय के बाद भगवान नारायण के कान की मैल से मधु और कैटभ नामक दैत्यों का जन्म हुआ। दोनों ने मां भगवती की कठोर साधना कर वरदान प्राप्त किया, लेकिन बाद में ब्रह्मा को मारने की कोशिश की। भगवान नारायण ने मां भगवती की कृपा से उनकी जंघा पर दोनों का संहार किया। शास्त्री ने कहा कि नवरात्रि में मां भगवती की आराधना और देवी भागवत कथा का श्रवण मन के भीतर के काम, क्रोध, लोभ जैसे राक्षसों का नाश कर मनोकामनाएं पूरी करता है।
श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि माता-पिता की सेवा ही जीवन में सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा, “पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन माता कभी कुमाता नहीं होती। एक मां चार बच्चों को पाल लेती है, पर आज चार बच्चे एक मां की देखभाल नहीं कर पाते। मां हमेशा बच्चों की भलाई के लिए प्रार्थना करती है।” उन्होंने सभी से माता-पिता का सम्मान और सेवा करने का आह्वान किया।
कथा के मुख्य यजमान बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर के व्यवस्थापक सतीश वन महाराज, लाहू वन महाराज सहित रोहित शर्मा, सुमेश चावला, मनोज ठाकुर, संजय शर्मा, कुलदीप शर्मा, सत्यम शर्मा, जलज कौशिक, विष्णु गौड़, यशपाल शर्मा, भरत शर्मा, विवेक मिश्रा, उमेश कुमार, कृष्ण शर्मा, बृजमोहन शर्मा, सुनील प्रजापति, चमन गिरी, सुषमा शर्मा, पूजा वशिष्ठ, संगीता शर्मा, शालू कौशिक, किरण चौधरी, बबीता शर्मा आदि ने व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
यह कथा श्रद्धालुओं के बीच आध्यात्मिक चेतना और माता-पिता के प्रति कर्तव्यबोध को जागृत करने का माध्यम बनी।