मुख्य संपादक सचिन तिवारी की कलम से
उत्तराखंड – हाल ही में हुए नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। यह हार पार्टी के लिए सिर्फ एक चुनावी पराजय नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का गंभीर अवसर है। हार के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं, जो कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी, रणनीतिक विफलता और जमीनी जुड़ाव की कमी को उजागर करते हैं। आइए समझते हैं कि कांग्रेस कहां चूकी और इसे सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है।
1. सही मुद्दों का चयन न करना
कांग्रेस स्थानीय समस्याओं और जमीनी मुद्दों को पहचानने में नाकाम रही। जनता से जुड़े मुख्य मुद्दे जैसे नशे की समस्या, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और विकास कार्यों की अनदेखी करते हुए पार्टी ने अपना पूरा फोकस जनसरोकार से हटाकर दिखावटी प्रचार-प्रसार पर कर दिया। इससे जनता को यह विश्वास नहीं हो पाया कि कांग्रेस उनकी समस्याओं का समाधान कर सकेगी।
2. भीतरघात और पार्टी की आंतरिक कलह
पार्टी के भीतर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की कमी और भीतरघात ने कांग्रेस को कमजोर किया। कई लोग ऐसा भी बोल रहे कि संगठन के भीतर ऐसे लोग मौजूद हैं, जो अंदरखाने विरोधी दलों के साथ काम कर रहे हैं? इस तरह के आंतरिक विरोध ने कांग्रेस की स्थिति को और अधिक कमजोर बना दिया।
3. आक्रामक चुनाव प्रचार की कमी
जहां बीजेपी ने अपनी रणनीति को आक्रामक रूप से लागू करते हुए हर स्तर पर चुनाव प्रचार किया, वहीं कांग्रेस का चुनाव अभियान सुस्त और दिशाहीन दिखाई दिया। जनता से कनेक्ट करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। घर-घर पहुंचने और समस्याओं पर खुलकर बात करने का अभाव कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण रहा।
4. प्रमुख नेताओं की उदासीनता
चुनाव के दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेता सक्रिय नहीं दिखे। उनकी उदासीनता और जमीनी स्तर पर उपस्थिति की कमी ने कार्यकर्ताओं के उत्साह को कमजोर कर दिया। स्थानीय नेतृत्व को सशक्त बनाने की बजाय, बड़े नेता केवल चुनावी रैलियों तक सीमित रहे।
5. जनता से दूरी और उदासीनता
पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस ने जनता से जुड़ने की गंभीर कोशिश नहीं की। पार्टी केवल चुनाव के समय ही सक्रिय हुई, जिससे जनता ने इसे एक अवसरवादी कदम के रूप में देखा। नशे और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ने पर्याप्त आवाज नहीं उठाई, जिससे जनता को यह भरोसा नहीं हो पाया कि कांग्रेस उनकी वास्तविक समस्याओं के लिए प्रतिबद्ध है।
6. गलत उम्मीदवारों को टिकट देना
कांग्रेस ने टिकट वितरण में कई गलत फैसले किए। गलत छवि वाले और कमजोर उम्मीदवारों को मैदान में उतारने से पार्टी को नुकसान हुआ। इसके अलावा, जमीनी कार्यकर्ताओं और योग्य नेताओं को दरकिनार करना पार्टी की हार का एक और प्रमुख कारण रहा।
7. कार्यकर्ताओं में जोश की कमी
चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह की भारी कमी दिखाई दी। इसका एक कारण पार्टी के भीतर संवादहीनता और नेतृत्व की उदासीनता थी। पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने और उनकी मेहनत का सही उपयोग करने में कांग्रेस नाकाम रही।
हार से सबक और आगे की राह
कांग्रेस को इस हार से सबक लेना चाहिए और अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करना चाहिए।
1. जमीनी जुड़ाव: जनता से जुड़ने के लिए जमीनी स्तर पर काम करें और उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनें।
2. संगठनात्मक सुधार: संगठन में अनुशासन लाएं और भीतरघात करने वालों को बाहर करें।
3. सही मुद्दों पर फोकस: नशा, भ्रष्टाचार, रोजगार और विकास जैसे वास्तविक मुद्दों को प्राथमिकता दें।
4. सशक्त नेतृत्व: पार्टी में सक्रिय और जमीनी नेताओं को प्रोत्साहित करें।
5. आक्रामक प्रचार: चुनावी रणनीति को आक्रामक बनाएं और घर-घर पहुंचने का प्रयास करें।
कांग्रेस की यह हार केवल आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि जनता से उसके दूर होने का संकेत है। यदि पार्टी इन कारणों पर गंभीरता से ध्यान देकर सुधार लाए, तो वह न केवल अपने खोए हुए जनाधार को पुनः प्राप्त कर सकती है, बल्कि आगामी चुनावों में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।