संतों को समाज का दर्पण कहा जाता है साधु संत समाज में लोगो को सही राह पर चलाने का कार्य करते हैं मगर संन्यासी अखाड़ों में सबसे महत्वपूर्ण निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि पर अपहरण करने का गंभीर मामला सामने आया है जिसके बाद संत समाज में भी आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि के खिलाफ आक्रोश देखने को मिल रहा है संतो द्वारा मांग की गई है की इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और निरंजनी अखाड़ा आचार्य महामंडलेश्वर पद से कैलाशानंद गिरि को बर्खास्त करे वही अपने ऊपर लगे आरोपों को आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने साजिश बताया है
प्रेस क्लब हरिद्वार में महामंडलेश्वर प्रबोधानंद और बाबा हठयोगी ने प्रेस कांफ्रेंस करके बताया 21 अप्रैल 1997 को निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी के खिलाफ अपहरण का आरोप लगा था जिसके चलते धारा 364 के तहत कैलाश दास शिष्य राम स्वरूप दास ऊर्फ कैलाशानंद ब्रह्मचारी शिष्य गोपालानंद ब्रह्मचारी ऊर्फ कैलाशानंद गिरि शिष्य राजराजेश्वराश्रम तत्कालीन निवासी सीहीपुर मंदिर,पोस्ट अयोध्या, हाल निवासी श्री दक्षिण काली मंदिर चण्डी घाट,पोस्ट श्यामपुर, हरिद्वार के खिलाफ मुकदमा संख्या 605/97 दर्ज हुआ था तब से लेकर आज तक कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि मामले में फरार चल रहे है इसी के चलते कोर्ट ने कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया था जिसमे कैलाश दास ऊर्फ कैलाशांनद गिरि के अयोध्या स्थित मकान की 10 जून 1997 को कुर्की हुई थी जबकि जिस संजय नामक व्यक्ति का अपहरण किया गया था उसका आज तक कुछ पता नहीं चल सका है।
हिंदू रक्षा सेना के प्रमुख और महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी का इस मामले पर कहना है कि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि पर 1997 में अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ था इससे सभी संत समाज पर उंगली उठ रही है यह बड़ी चिंता की बात है निरंजनी अखाड़े को तत्काल उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर पद से बर्खास्त करना चाहिए पुलिस प्रशासन भी इस मामले में तुरंत जांच कर कार्रवाई करें इनका कहना है कि यह मामला इसलिए उठा है की कोर्ट के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हुई पैरवी के अभाव में जिस लड़के का अपहरण हुआ था उसके पिता की मौत हो गई मगर कोर्ट के द्वारा कुर्की की कार्रवाई की गई थी और वारंट जारी किया गया था अगर यह मामला झूठा है तो उसका पता लगना चाहिए नहीं तो इसपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता और वरिष्ठ संत बाबा हठयोगी का कहना है कि अखाड़े ऐसे ऐसे व्यक्ति को पद पर विराजमान कर देते हैं जिनके बारे में उन्हें कुछ पता नहीं होता पहले साधुओं की हर प्रकार की जांच की जाती थी मगर अब किसी भी साधु की जांच नहीं होती अगर साधु की जांच होगी तो इसे आपराधिक किस्म के लोग संत का चोला नहीं पहन पाएंगे इसके लिए सभी अखाड़ों को आगे आना चाहिए।
वही निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशांनद गिरि ने अपने ऊपर लगे अपहरण के गंभीर आरोप को साजिश बताया है इनका कहना है कि यह कोर्ट और पुलिस का विषय है इसमें किसी भी प्रकार का तथ्य नहीं है क्योंकि देश में कुछ लोग प्रसिद्ध लोगों को बदनाम करने का कार्य करते हैं इसी षड्यंत्र के तहत ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं हमारे द्वारा इस मामले में तीन लोगों को नोटिस भेजा गया है ऐसे षड्यंत्रकारी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।