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कृषि-बागवानी और पर्यटन: उत्तराखंड में लौटे प्रवासियों के लिए आर्थिक सफलता का मार्ग

देहरादून। राज्य में पलायन निवारण आयोग की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि देहातों में लौटे प्रवासी अब कृषि, बागबानी और पर्यटन को अपनी आजीविका बनाने लगे हैं।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 39 % प्रवासियों ने कृषि और बागबानी व्यवसाय अपनाया है, जबकि 21 % प्रवासी पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार का विकल्प चुन रहे हैं।

इसके अलावा, 18 % प्रवासियों ने पशुपालन, 6 % ने व्यापार, और 3 % ने कुशल तकनीकी व्यवसाय में कदम रखा है।

नजदीकी शहरों और कस्बों से लौटे प्रवासी परिवहन (5 %) जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कर रहे हैं, और विदेश से लौटे प्रवासी तकनीकी और नई सेवाओं की ओर अग्रसर हैं।

गांव लौटे प्रवासी होम-स्टे, रेस्टोरेंट और आतिथ्य क्षेत्रों में निवेश कर अपनी पहचान बना रहे हैं।

पौड़ी जिले में 348, अल्मोड़ा में 232, टिहरी में 186, चमोली और चंपावत में 108-108 प्रवासी इस सेक्टर से जुड़े हैं।

इसके अलावा, टिहरी, अल्मोड़ा, पौड़ी, उत्तरकाशी और चमोली जिलों में डेयरी, मधुमक्खी पालन और बकरी पालन जैसी गतिविधियों में भी प्रवासियों की भागीदारी बढ़ रही है।

पलायन निवारण आयोग अब उन प्रवासियों की “सक्सेस स्टोरीज़” को इकट्ठा करेगा, जिन्होंने गांव लौटकर स्वरोजगार में न केवल खुद को, बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिलाया है।

इन बेस्ट प्रैक्टिसेज़ को सामने लाने का मकसद यह है कि अन्य प्रवासी भी उनसे प्रेरणा लें और स्वरोजगार की राह चुनें।

पिछले पांच सालों में लौटे प्रवासियों की ये उपलब्धियाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत हैं — और उन्हें एक मॉडल के रूप में स्थापित किया जा रहा है।

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