हरिद्वार, 21 नवंबर। पौराणिक परंपरा के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में आज से “पंच पूजा” की धार्मिक अनुष्ठान कला शुरू हो गई है, जिसके साथ ही मंदिर में देवताओं का आधिकारिक आगमन माना जाता है।
इस पूजा-संकुचित कार्यक्रम में पहले दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा की गई और शाम तक उनके मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। इसके बाद के दिन अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान होंगे — जैसे आदिकेदारेश्वर मंदिर में अन्नकूट भोग, वेद ऋचाओं का वाचन और माता लक्ष्मी को विशेष “कढ़ाई भोग” अर्पित करना।
धार्मिक मान्यता है कि इस पूजा के बाद छह महीने तक देवताओं द्वारा ही मंदिर का दर्शन-संभाल किया जाता है, क्योंकि मंदिर की कलश या पूजा का अधिकार मनुष्यों से देवताओं के हाथ में चला जाता है।
तैयारी पूरी करने के बाद, 25 नवंबर, दोपहर 2 बजे 56 मिनट पर मंदिर के मुख्य कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
यह धार्मिक प्रक्रिया श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए एक विशेष समय है — वे पंच पूजा के दौरान बदरी विशाल और अन्य देवताओं के दिव्य दर्शन का हिस्सा बन सकते हैं, उससे पहले कि मंदिर अगले छह महीनों के लिए बंद हो जाए।




