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DCC ने मांगा स्पष्टीकरण: TRAI की सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सिफारिशों पर उठे कुछ महत्वपूर्ण सवाल

नई दिल्ली, 16 सितम्बर 2025 — डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (DCC) ने TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) द्वारा सैटेलाइट कम्युनिकेशन (Satcom) स्पेक्ट्रम के संबंध में की गई सिफारिशों पर कुछ बातें स्पष्ट करने की मांग की है।

 

क्या कहा गया था TRAI ने:

 

May 2025 में TRAI ने प्रस्ताव रखा था कि सैटेलाइट इंटरनेट ऑपरेटर्स (जैसे Starlink) को समायोजित सकल राजस्व (AGR) का 4% स्पेक्ट्रम चार्ज देना होगा।

 

इसके अलावा शहरी उपभोक्ताओं के लिए प्रत्येक उपयोगकर्ता पर सालाना ₹500 का अतिरिक्त शुल्क लगाने का सुझाव था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों को इस शुल्क से मुक्त रखा जाए।

 

 

DCC ने किन बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं:

 

1. स्पेक्ट्रम चार्ज की दर — 4% AGR की दर उच्च लग रही है; इस पर अन्य देशों की तुलना व आर्थिक प्रभाव की जानकारी मांगी गई है।

 

 

2. शहरी-ग्रामीण शुल्क की नीति — ₹500 प्रति शहरी उपयोगकर्ता शुल्क का आधार क्या है, और यह कैसे लागू किया जायेगा, इसकी प्रक्रियाएँ अस्पष्ट मानी गयी हैं।

 

 

3. निवेश एवं प्रतिस्पर्धा पर प्रभाव — यह देखा जाना है कि ये सिफारिशें ISPs और पारंपरिक दूरसंचार कंपनियों (terrestrial operators) के लिए प्रतिस्पर्धात्मक संतुलन बनाए रखेंगी या नहीं।

 

 

 

आगे की कार्यवाही:

 

DCC अब TRAI से इन प्रस्तावों के संबंधित हिस्सों पर बैक-रिफरेंस भेजेगा ताकि अस्पष्ट बिंदुओं को साफ किया जा सके।

 

इस समीक्षा के बाद नीति तैयार की जायेगी, जो स्पेक्ट्रम आवंटन, शुल्क नीति, और Starlink जैसे ऑपरेटरों की कार्यवाही की दिशा तय करेगी।

 

 

महत्व:

यह कदम भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के विस्तार और उनकी निगरानी को लेकर अत्यंत निर्णायक है। Starlink सहित अन्य कमर्शियल सैटेलाइट ऑपरेटरों की पहुँच इन नियमों से प्रभावित होगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाने के संदर्भ में।

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