हरिद्वार, 13 सितम्बर। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट ने राज्य में हो रहे अनियोजित निर्माण और आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए विकास योजनाएँ संतुलित और सुविचारित होनी चाहिए।
पत्रकारों से बातचीत में भट्ट ने कहा कि अनेक बलिदानों के बाद बने अलग उत्तराखंड राज्य का उद्देश्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने मांग की कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर किया जाए, ताकि पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं को न्याय मिल सके।
भट्ट ने पलायन को राज्य की सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इसे रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और खेती के बेहतर प्रबंधन पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि छोटे-छोटे डेम बनाकर जल संसाधनों का उपयोग किया जाए। इससे न केवल बिजली उत्पादन बढ़ेगा बल्कि युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन भी रुकेगा।
उन्होंने जंगली जानवरों से किसानों को हो रहे नुकसान पर चिंता जताते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की। साथ ही कहा कि आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना बेहद जरूरी है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड जल संसाधनों से संपन्न राज्य है, सरकार को बहते पानी का उपयोग कर नई योजनाएँ बनानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि राज्य के विकास के लिए ठोस और दीर्घकालिक योजनाओं की जरूरत है और सरकार को उन बलिदानों को याद रखते हुए विकास की दिशा में काम करना चाहिए, जिनकी बदौलत उत्तराखंड का गठन हुआ।