उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी नेता और उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के वरिष्ठ नेता फील्ड मार्शल माननीय दिवाकर भट्ट ने वर्तमान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “पहले राज्य बनाने के लिए आंदोलन किया था, अब राज्य बचाने के लिए करना पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की मूल समस्याएं जस की तस हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में हालात और बदतर हो गए हैं।
पलायन पर नहीं लगी रोक
दिवाकर भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड निर्माण की सबसे बड़ी वजह पलायन थी, लेकिन 25 वर्ष बीतने के बाद भी पलायन पर अंकुश नहीं लग पाया है। गांव खाली हो रहे हैं और पहाड़ उजड़ते जा रहे हैं।
इन्वेस्टमेंट समिट पर सवाल
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने इन्वेस्टमेंट समिट के नाम पर जनता के साथ छल किया है। “मुख्यमंत्री बताएं कि कितनी निवेश परियोजनाएं पहाड़ों पर शुरू हुईं और स्थानीय युवाओं को कितना रोजगार मिला?” उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी युवाओं की ज़मीनें बेचकर सरकार उन्हें खुद की ही भूमि पर नौकर बना रही है।
भ्रष्टाचार और स्मार्ट मीटर पर विरोध
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और स्मार्ट मीटर के नाम पर आम जनता का शोषण हो रहा है। जनता की जेब काटने वाली नीतियों से लोगों में असंतोष है।
शहीदों के सपनों का उत्तराखंड नहीं बना
दिवाकर भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के लिए 42 से अधिक लोगों ने शहादत दी और कई माताओं-बहनों ने अपनी आबरू तक दांव पर लगा दी। “जिस उत्तराखंड का हमने सपना देखा था, वह अब सिर्फ सपनों तक सीमित रह गया है।”
शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति बदहाल
उन्होंने बताया कि राज्य बनने के बाद शिक्षा की हालत लगातार बिगड़ी है। कई पहाड़ी स्कूल बंद हो चुके हैं। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं पर बोलते हुए कहा कि “अस्पताल डॉक्टरविहीन हैं और पहाड़ों के अस्पताल सिर्फ ‘रेफर सेंटर’ बनकर रह गए हैं।”
विकास के नाम पर विनाश
दिवाकर भट्ट ने कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ों का दोहन हो रहा है। बड़ी-बड़ी मशीनों से अंधाधुंध खुदाई से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है और पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है।
“अब हमें राज्य को बचाने के लिए खड़ा होना होगा,” उन्होंने कहा, और युवाओं से उत्तराखंड के भविष्य के लिए एक नई जागरूकता और आंदोलन की आवश्यकता पर बल दिया।