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हिंदू राष्ट्ररत्न’ से सम्मानित हुए अधिवक्ता हरिशंकर जैन, ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार से कपिल मिश्रा, विपुल शाह सहित कई विभूतियाँ सम्मानित

सनातन संस्था द्वारा गोवा में आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में हुआ सम्मान समारोहसनातन संस्था द्वारा गोवा के फोंडा में 17 से 19 मई 2025 के दौरान आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में राष्ट्र और धर्म रक्षा हेतु विशेष योगदान देने वाले व्यक्तित्वों को ‘हिंदू राष्ट्ररत्न’ एवं ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

 

‘हिंदू राष्ट्ररत्न’ सम्मान दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष पू. हरिशंकर जैन को प्रदान किया गया, जिन्होंने श्रीराम मंदिर, काशी, मथुरा एवं भोजशाला जैसे मंदिरों की मुक्ति के लिए न्यायिक लड़ाई लड़ी। उन्हें यह सम्मान दिल्ली में सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे के करकमलों से प्राप्त हुआ।

 

‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार से पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों को नवाजा गया:

 

दिल्ली के कला एवं संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा को हिंदू इकोसिस्टम के निर्माण और दिल्ली दंगों में हिंदुओं की सहायता के लिए,

 

फ़िल्म निर्माता-निर्देशक विपुल शाह को ‘द केरला स्टोरी’ और ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ जैसी सामाजिक फिल्मों के माध्यम से जनजागरण हेतु,

 

अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर को मालेगांव और मडगांव बम कांड जैसे प्रकरणों में निःशुल्क न्याय सहायता प्रदान कर सत्य की रक्षा हेतु,

 

ऋषिकेश स्थित गीता भवन के श्री गौरीशंकर मोहता को सनातन धर्म के प्रचार हेतु समर्पण के लिए,

 

तथा प्रसिद्ध मूर्तिकार व चित्रकार प्रमोद कांबळे को भारतीय कला और संस्कृति के संरक्षण में योगदान के लिए।

 

 

श्री प्रमोद कांबळे द्वारा राम मंदिर परिक्रमा मार्ग के 125 चित्ररथ, स्वामीनारायण मंदिर हेतु भव्य शिल्प निर्माण एवं 70 फीट ऊँची साईं बाबा प्रतिमा सहित अनेक अद्वितीय कृतियाँ निर्मित की गई हैं।

 

इस महोत्सव में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले के 83वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में कुल 4 ‘हिंदू राष्ट्ररत्न’ और 21 ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार प्रदान किए गए।

कार्यक्रम में भारत सहित 23 देशों से आए 30,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

 

कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्र व धर्म जागरण को गति देना और सनातन मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा करना रहा। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने इसे एक “प्रेरणादायक जिम्मेदारी” बताया और राष्ट्र निर्माण के संकल्प को दोहराया

 

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