हरिद्वार, 4 अप्रैल। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के संयोजन में श्री बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने मां वैष्णो देवी की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि जम्मू के कटरा गांव में श्रीधर नामक ब्राह्मण रहते थे, जिन्हें संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए श्रीधर नवरात्रि में मां भगवती की पूजा करते थे। नवमी के दिन कन्या पूजन के दौरान वैष्णवी नाम की एक कन्या ने उन्हें पूरे गांव को भंडारे के लिए आमंत्रित करने को कहा। श्रीधर के पास साधन नहीं थे, लेकिन वैष्णवी ने सारी व्यवस्था कर दी। भंडारे के दौरान बाबा भैरवनाथ ने मांस-मदिरा की मांग की और वैष्णवी को पकड़ने का प्रयास किया। वैष्णवी त्रिकूट पर्वत की गुफा में चली गईं और काली रूप धारण कर भैरव का वध किया। बाद में मां काली, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में प्रकट होकर श्रीधर को दर्शन दिए और वरदान दिया कि उनके तीनों रूपों की पूजा करने वाले की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। तभी से मां वैष्णो देवी इन रूपों में विराजमान हैं और श्रीधर को संतान सुख प्राप्त हुआ।
शास्त्री ने कहा कि नवरात्रि में मां वैष्णो देवी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस अवसर पर श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बढ़कर इस संसार में कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, “माता-पिता की सेवा से ही पद, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-संपदा मिलती है। भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा कर प्रथम पूज्य का स्थान प्राप्त किया।”
कथा में मुख्य यजमान बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर के व्यवस्थापक सतीश वन महाराज, लाहू वन महाराज, रोहित शर्मा, सुमेश चावला, मनोज ठाकुर सहित अनेक भक्तों ने पूजन संपन्न किया।