हर वर्ष 12 मार्च को विश्व अग्निहोत्र दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस प्राचीन वैदिक यज्ञ प्रक्रिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य लाभों को उजागर करना है। सनातन संस्था के अनुसार, अग्निहोत्र न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि यह वातावरण को शुद्ध करने, मानसिक शांति प्रदान करने और कृषि एवं वनस्पति विकास में भी सहायक सिद्ध हुआ है।
क्या है अग्निहोत्र?
अग्निहोत्र एक वैदिक यज्ञ प्रक्रिया है, जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की जाती है। इसमें देशी गाय के घी, गोबर के उपले और चावल की आहुति दी जाती है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, अग्निहोत्र से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु कम होते हैं और वायुमंडल की शुद्धि होती है।
अग्निहोत्र के लाभ:
वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और औषधीय गुणों की वृद्धि।
बालकों में एकाग्रता और मानसिक स्थिरता बढ़ाने में सहायक।
कृषि उत्पादन में वृद्धि और मिट्टी की उर्वरता में सुधार।
मानसिक स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और कार्यकुशलता को बढ़ावा।
आपातकाल में अग्निहोत्र का महत्त्व
सनातन संस्था के अनुसार, वर्तमान वैश्विक स्थिति को देखते हुए अग्निहोत्र एक आवश्यक साधना बन गई है। यह अण्वास्त्रों के विकिरण प्रभाव को कम करने में भी सक्षम बताया जाता है।
अग्निहोत्र की विधि
पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
गोबर के उपलों को घी से प्रज्वलित करें।
अग्नि में चावल व घी की आहुति दें और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करें।
हवन के उपरांत विभूति (भस्म) को औषधीय एवं कृषि कार्यों में उपयोग करें।
अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस सहित 70 देशों में भी अग्निहोत्र को वैज्ञानिक रूप से स्वीकार किया गया है। इस विश्व अग्निहोत्र दिवस पर अधिक से अधिक लोगों को इस प्राचीन परंपरा को अपनाकर पर्यावरण और समाज कीशुद्धि में योगदान देना चाहिए।