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महाशिवरात्रि: आध्यात्मिक शक्ति और उपासना का पर्व

गाजियाबाद, 23 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक पावन पर्व है, जिसे देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की उपासना, व्रत, रात्रि जागरण और अभिषेक का विशेष महत्व होता है।

सनातन संस्था के अनुसार, इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस अवसर पर शिव भक्त रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र और अन्य पवित्र वस्तुएं अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

भगवान शिव के प्रतीकों का महत्व

भगवान शिव के विभिन्न प्रतीक उनके गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को दर्शाते हैं:

डमरू – सृष्टि और नाद ब्रह्म का प्रतीक।

त्रिशूल – सृजन, पालन और संहार का द्योतक।

नाग – कालचक्र पर शिव का नियंत्रण दर्शाता है।

भस्म – वैराग्य और मृत्यु पर विजय का प्रतीक।

रुद्राक्ष – शिव के अश्रुओं से उत्पन्न, जो आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

महाशिवरात्रि का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव विश्राम करते हैं, जिसे ‘प्रदोष काल’ कहा जाता है। इस समय शिव-तत्त्व हजार गुना अधिक सक्रिय होता है, जिससे शिव उपासना का विशेष लाभ मिलता है। इस दिन किए गए व्रत, जप और पूजन से शिव कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

महाशिवरात्रि पर क्या करें?

दिनभर भगवान शिव का नामजप करें।

शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, बिल्वपत्र से करें।

मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करें।

रात्रि जागरण कर शिव महिमा का गुणगान करें।

भगवान शिव की उपासना से आत्मिक शांति, समृद्धि और मुक्ति की प्राप्ति होती है। शिवभक्त इस पावन पर्व को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाएं और शिव कृपा का लाभ प्राप्त करें।

(संदर्भ:सनातन संस्था द्वारा रचित ग्रंथ “शिव”)

 

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