बोर्ड की परीक्षाएं अगले महीने शुरू होने वाली हैं। लखनऊ: यूपी दसवीं और बारहवीं के छात्रों के लिए यह समय न केवल पढ़ाई के लिहाज से अहम है, बल्कि भविष्य की योजना बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। पढ़ाई के दौरान परीक्षा का तनाव और भविष्य को लेकर उलझनें छात्रों को परेशान कर सकती हैं। ऐसे में कॅरिअर काउंसलिंग छात्रों को सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास प्रदान करने में मददगार साबित हो सकती है।
काउंसलिंग क्यों है जरूरी?
कई छात्र परीक्षा की तैयारी के दौरान इस पशोपेश में रहते हैं कि दसवीं या बारहवीं के बाद किस विषय का चयन करें। काउंसलर न केवल छात्रों की रुचियों और क्षमताओं का आकलन करते हैं, बल्कि उनके प्रदर्शन, रुचियों और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखकर सही करिअर विकल्प सुझाते हैं।
वैज्ञानिक तरीके से होता है मूल्यांकन
काउंसलर छात्रों की रुचियों, तर्कशक्ति और मानसिक क्षमताओं का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाते हैं। इसके लिए एप्टीट्यूड टेस्ट, इंटरेस्ट इन्वेंटरी और पर्सनालिटी टेस्ट जैसे उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इनसे छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने और अपने निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है।
रुचि के अनुसार विषय का चयन
अनुभवी काउंसलर यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्रों की रुचियों और क्षमताओं के अनुरूप ही विषय का चयन हो। उदाहरण के लिए, विज्ञान के छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल