एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पीलीभीत में एक झोपड़ी में रहने वाली बांग्लादेशी महिला रेनू को भूमाफिया गिरोह ने तीन करोड़ रुपये की जमीन की फर्जी मालकिन बना दिया। गिरोह ने लेखपाल की मदद से जमीन के आठ फर्जी बैनामे कराए और इसके बदले रेनू को मात्र 15 हजार रुपये दिए।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि रेनू मूल रूप से बांग्लादेशी हिंदू है और पीलीभीत जिले के गोछ गांव की निवासी है। गिरोह में शामिल दीपक, जो रेनू के पहले पति की बहन का बेटा है, ने रेनू को इस फर्जीवाड़े में शामिल किया। दीपक और लेखपाल सावन कुमार ने रेनू को झांसा दिया कि यह सरकारी टैक्स बचाने का मामला है।
फर्जी कागजात और बैंक खातों का खेल
16 अक्तूबर को सावन कुमार ने रेनू से मुलाकात की। 18 अक्तूबर को रेनू का फर्जी आधार कार्ड बनवाया गया। 21 अक्तूबर को उसका बैंक खाता खुलवाया गया, जहां कथित खरीदार अमित का भी खाता था। 24 अक्तूबर को महिला के पते को बरेली के बसीनगर में बदल दिया गया। इसके बाद 1760 वर्गगज के प्लॉट के आठ बैनामे कराए गए। हर बैनामे की कीमत 37 लाख रुपये दिखाकर रेनू के खाते में पांच लाख रुपये ट्रांसफर किए गए, जो तुरंत अमित के खाते में भेज दिए गए।
गिरफ्तारी और गिरोह का खुलासा
एसआईटी ने रेनू को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में पाया गया कि गिरोह का सरगना ट्रांसपोर्टर विजय अग्रवाल है, जो अपने मैनेजर अंकित के जरिए सावन और अमित को आर्थिक मदद देता था। गिरोह पर पहले ही 13 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, और चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गिरोह की रणनीति
रेनू ने बताया कि सावन और उसके साथी उसे बार-बार कार भेजकर बुलाते थे और अच्छे होटलों में ठहराते थे। लेकिन जब मामला सामने आया, तो उसे होटल में बंधक बनाकर धमकाया गया।
पुलिस की कार्रवाई
एसपी सिटी ने बताया कि गिरोह ने अब तक कई लोगों को धोखा दिया है। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। पुलिस ने गिरोह के बैंक खातों और फर्जी दस्तावेजों की जांच तेज कर दी है।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल भूमाफिया गिरोह की साजिश को उजागर करता है, बल्कि सरकारी तंत्र में शामिल भ्रष्टाचार पर भी सवाल खड़े करता है। पुलिस ने इस मामले में सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।