हरिद्वार, 11 अप्रैल 2025: पाकिस्तान के सिंध प्रांत से 270 हिंदू तीर्थयात्रियों का एक विशेष जत्था हरिद्वार के सप्त सरोवर मार्ग स्थित 300 वर्ष प्राचीन संत शदाणी देवस्थानम् पहुंचा। यह जत्था शदाणी पीठ के सातवें संत राजाराम साहिब के वार्षिक महोत्सव में भाग लेने के लिए भारत आया है। तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को शदाणी दरबार आश्रम में संत समागम का आयोजन हुआ, जिसमें प्रमुख संतों की उपस्थिति में श्रद्धालुओं को साधु-संतों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
मुख्य अतिथि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 2031 तक सभी पाकिस्तानी हिंदू अपने देश में एकजुट होंगे और हिंगलाज माता के दर्शन करेंगे। उन्होंने प्राचीन काल में पाकिस्तान और चीन को भारत का हिस्सा बताते हुए कांधार को भगवान राम और कृष्ण से जुड़ी पवित्र भूमि बताया। साथ ही, उन्होंने भारत सरकार से विदेशों में अल्पसंख्यक हिंदुओं को धार्मिक यात्राओं के लिए तत्काल वीजा देने और अन्य देशों से वीजा नियमों में सुधार की मांग की।
नवम पीठाधीश्वर डॉ. युधिष्ठिर लाल ने कहा कि आस्था को देश की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने बताया कि विदेशी हिंदू अपने संस्कार पूर्ण करने के लिए भारत आते हैं और हरिद्वार की यात्रा उनकी धार्मिक यात्रा को पूर्णता प्रदान करती है। इस दौरान तीर्थयात्रियों ने हरिद्वार में कलश यात्रा निकाली, 1008 शिवलिंगों की पूजा की और हर की पैड़ी पर गंगा आरती में हिस्सा लिया। साथ ही, यज्ञोपवित्र और मुंडन जैसे संस्कार भी किए गए।
कार्यक्रम में स्वामी हरिचेतनानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, डॉ. प्रेमानंद गिरि, दरबार के सेवादार अमर लाल शदाणी सहित राजकुमार, राजेश कुमार, आशा कुमारी, नारायण, ताराचंद, धनेश कुमार, दीपक कुमार, चेतन कुमार, निर्मल दास, तुलसीदास, मंगला शर्मा, कैलाश कुमार आदि उपस्थित रहे। तीर्थयात्रियों ने भारत की संस्कृति और संस्कारों को गहराई से अपनाने की भावना व्यक्त की और सुखद अनुभव के साथ विदा होने की बात कही।