टाट वाले बाबा जी महाराज की स्मृति में वेदान्त महोत्सव का आयोजन, संतों ने दी आध्याततपस्वी ब्रह्मनिष्ठ संत सद्गुरु श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज की पावन स्मृति में आयोजित 36वें वार्षिक समारोह के अंतर्गत वेदान्त महोत्सव का शुभारंभ गुरु महाराज की आरती एवं वंदन के साथ हुआ। कार्यक्रम में भक्तिमय वातावरण के बीच अनेक संतों, श्रद्धालुओं एवं भजनों की गूंज से परिसर दिव्यता से आलोकित हो उठा।
गुलरवाला से आई अनन्य भक्त सुश्री महेशी देवी ने श्री रामचन्द्र जी महाराज और अपनी संगत के साथ भावपूर्ण भजन प्रस्तुत कर बाबा जी के श्रीचरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। वहीं बिल्केश्वर कॉलोनी से आई श्रद्धेय माता कृष्णामई ने गुरु महाराज से जुड़ी अपने संस्मरण सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
इस अवसर पर परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि “मन की खुराक संकल्प और विकल्प हैं, किन्तु जब तक व्यक्ति इनसे मुक्त नहीं होता, तब तक शांति संभव नहीं। साधन मात्र से बात नहीं होती, साधक को यह जानना होगा कि वह न शरीर है, न मन, न इन्द्रियाँ। जब तक विषय और वस्तु हैं, आनंद सीमित है, परंतु ज्ञानी के लिए जीवन केवल परिवर्तन है, अंत नहीं।”
परम पूज्य दिनेश दास जी महाराज, परमाध्यक्ष श्री राम निवास आश्रम ने भजन “जहां ले चलोगे वही मैं चलूंगा, जिस हाल में रखोगे उसी में खुश रहूंगा” प्रस्तुत कर गुरु महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि “गुरु के बिना जीवन अंधकारमय है, गुरु ही वह प्रकाश हैं जो साधक को मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं।”
स्वामी श्री श्री विजयानन्द जी महाराज ने कहा कि “गुरुजी का हर उपदेश आज भी हमें प्रेरित करता है, उनकी सूक्ष्म उपस्थिति हम अनुभव कर रहे हैं।”
वहीं ऋषिकेश से पधारे स्वामी श्री हरिहरानंद जी ने अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि “जब मैं बाबा जी को जूते पहना रहा था, तब उन्होंने कहा था—‘भक्त, हर कार्य नारायण-नारायण बोलकर किया करो।’ आज यही मंत्र मेरे जीवन का आधार बन गया है।”
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और गुरु महाराज के चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया।




