देहरादून, 10 नवंबर — चिकित्सकीय अध्ययन एवं क्लिनिक निरीक्षण के आधार पर यह चेतावनी दी गई है कि Borderline Personality Disorder (सीमारेखा व्यक्तित्व विकार – BPD) सहित अनेक मानसिक विकारों के पीछे मस्तिष्क-क्रिया में असंतुलन (neurobiological imbalance) एक प्रमुख कारक बन कर उभरा है। यह जानकारी विशेष कर Dehradun स्थित मनोचिकित्सक एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा साझा की गई है।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि BPD में भावनात्मक अस्थिरता, impulsivity (जोरवाले निर्णय), अंतर-संबंध अभाव, खालीपन की अनुभूति जैसी स्थितियाँ पाई जाती हैं। उदाहरण-स्वरूप, एक समीक्षा में यह पाया गया कि BPD वाले व्यक्तियों में मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स एवं अमाइग्डाला-लिम्बिक नेटवर्क में कार्यात्मक विकृति मौजूद है।
मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन, डोपामिन) तथा नेटवर्क-संचालन की असंतुलन की भी रिपोर्ट हैं, जो भावनात्मक नियंत्रण को प्रभावित करती हैं।
देवभूमि सहित अन्य इलाकों में सामाजिक-पारिवारिक दबाव, टूटते रिश्ते, युवा-तनाव, अकेलापन जैसी परिस्थितियाँ बढ़ी हैं — ये BPD जैसे विकारों के जोखिम को बढ़ाने वाले पहलुओं में शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने “मस्तिष्क-क्रिया में असंतुलन = मानसिक विकारों का संभावित जोखिम” के रूप में देखा है, विशेषकर जब BPD के साथ अन्य विकार (जैसे मादक पदार्थ उपयोग, अवसाद, आत्म-ह्रास प्रवृत्ति) जुड़े हों।
देहरादून की मानसिक स्वास्थ्य संस्थाओं के अनुसार, स्थानीय-युवाओं में बढ़ती जीवनशैली की चुनौतियाँ, भरोसे की कमी तथा संवादहीन पारिवारिक माहौल ने मनोवैज्ञानिक अस्थिरता को हवा दी है। इसे देखते हुए निम्न सुझाव दिए जा रहे हैं:
यदि आप या कोई परिचित बार-बार भावनात्मक उथल-पुथल, खालीपन, अतिरक्त संवेदनशीलता, अस्थिर संबंध या आवेग-आधारित व्यवहार अनुभव कर रहा है — तो मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करवाना हितकर है।
मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी: मस्तिष्क (न्यूरो-बायोलॉजिकल) और मन (साइको-सोशल) दोनों-तरफ की भूमिका स्वीकार करनी होगी।
परिवार, मित्र एवं स्कूल-कॉलेजों में ऐसे लक्षण-संकेत कहीं नजर आ रहे हों तो समय-से हस्तक्षेप करना बेहतर माना जाता है — व BPD होने पर समय रहते थैरापी आरंभ होने पर बहुत लाभ मिलता




