हर्रावाला। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने परीक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कड़े कदम उठाए हैं। विश्वविद्यालय ने वर्ष 2019-20 में बिना नीट काउंसलिंग के अवैध रूप से प्रवेश पाने वाले 164 छात्रों के परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है। इन छात्रों को विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्थानों ने अपने स्तर पर प्रवेश दिया था, जिसे विश्वविद्यालय ने नियम-विरुद्ध माना।
रजिस्ट्रार रामजी शरण शर्मा ने बताया कि इन छात्रों को उच्च न्यायालय के अस्थाई आदेश के तहत नामांकन और परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन परिणाम जारी करने के लिए कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। हाल ही में कुलपति के अनुमोदन से परिणाम रोकने का निर्णय लिया गया। कुछ छात्रों द्वारा दबाव बनाने और अधिकारियों का घेराव करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अपने फैसले पर अडिग है।
परीक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए विश्वविद्यालय ने ई-ऑफिस शुरू किया है, जिसमें सभी अभिलेखों का डिजिटलीकरण अनिवार्य किया गया है। साथ ही, परीक्षा नियंत्रक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति भी गठित की गई है। रजिस्ट्रार शर्मा के नेतृत्व में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, ताकि आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्तराखंड की प्राचीन गरिमा को पुनर्जनन दिया जा सके। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि यहां से प्रशिक्षित आयुर्वेद स्नातक देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में योगदान दें।